होटल में काम करते थे पंकज त्रिपाठी, इस फिल्म में मिला था पहला ब्रेक
मुम्बई। कहा जाता है कि सोना आग में तपकर कुंदन बनता है और पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड का ऐसा ही खरा सोना हैं, जो संघर्ष और मुश्किलों की आग में तपकर कुंदन बने हैं और लाखों लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं। पंकज त्रिपाठी की असल ज़िंदगी की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। उनकी जिंदगी के संघर्ष में हर तरह का मसाला है। पंकज त्रिपाठी ने 2004 में आई फिल्म ‘रन’ में एक बेहद छोटे-से रोल से अपने ऐक्टिंग करियर की शुरुआत की। अभिनेता विजय राज के साथ उनका ‘कौवा बिरयानी’ वाला ये सीन काफी चर्चित हुआ।
लेकिन उनकी शुरुआत कुछ खास नहीं रही क्योंकि पंकज त्रिपाठी को कोई बड़ा दमदार रोल नहीं मिला, बावजूद इसके उन्होंने अपनी नैया को ठहरने नहीं दिया और छोटे-छोटे रोल करके ही आगे बढ़ने लगे। आलम यह है कि पंकज त्रिपाठी आज बॉलीवुड के दमदार और बड़े स्टार्स में शुमार हो गए हैं।
आज पंकज त्रिपाठी की झोली में कई फिल्में हैं, लेकिन एक वक्त था जब त्रिपाठी कास्टिंग डायरेक्टर्स और असिस्टेंट डायरेक्टर्स के फोन का इंतज़ार करते रहते थे। दिन गुज़रते गए और उन्हें कोई फिल्म नहीं मिली। हाल ही में एक न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान पंकज त्रिपाठी ने अपने संघर्ष के दिनों पर खुलकर बात की, जिसमें उन्होंने इसका जिक्र किया था।
बिहार के बेलसंड गांव से ताल्लुक रखने वाले पंकज त्रिपाठी ने आगे कहा कि वह गांव में ऐक्टिंग से बेहद दूर थे बस एक-दो प्ले में हिस्सा ले लिया करते थे। असली ट्विस्ट तब आया, जब वह पढ़ाई के लिए पटना गए। यहां उन्होंने 12वीं क्लास में ‘अंधा कुंआं’ नाम का एक प्ले देखा और यहीं से उन्हें थिएटर का चस्का लग गया।
थिएटर में काम करने के लिए पंकज त्रिपाठी ने बहुत संघर्ष किया। उस वक्त को याद करते हुए पंकज त्रिपाठी ने कहा, ‘मैं रात में होटल की किचन में काम करता था और सुबह थिएटर में काम करता था। इस नाइट शिफ्ट का सिलसिला 2 सालों तक चला। घर वापस आकर 5 घंटे के लिए सो जाता था और फिर मैं 2-7 बजे तक सो जाता था। इसके बाद में मैं सुबह 11-7 बजे तक होटल पर काम करने चला जाता था।’
इसके बाद पंकज त्रिपाठी ने उन जगहों की तलाश करनी शुरू की, जहां वह फ्री में ऐक्टिंग के गुर सीख सकें। उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह ऐक्टिंग सीखने के लिए पैसे दे पाते। जैसे-तैसे पंकज त्रिपाठी ने अपना ग्रैजुएशन किया। कॉलेज के दिनों में पंकज ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जॉइन किया। छात्रों के एक आंदोलन में भाग लेने की वजह से उन्हें एक हफ्ता जेल में भी रहना पड़ा, लेकिन यहां उनकी ज़िंदगी ही बदल गई।
जब पंकज त्रिपाठी 16 अक्टबूर 2004 को मुंबई आए, तो उनकी जेब में 46 हजार रुपये थे और बड़े-बड़े सपने, लेकिन 25 दिसंबर तक उनकी जेब में सिर्फ 10 रुपये ही रह गए। पर हौसले और सपने वही थे। खैर, आज पंकज त्रिपाठी के पास एक से बढ़कर एक फिल्म ऑफर्स हैं। जहां उनकी रजनीकांत के साथ फिल्म ‘काला’ और राजकुमार राव के साथ ‘स्त्री’ बीते दिनों रिलीज हुई। वहीं, वह जल्द ही रितिक रोशन के साथ ‘सुपर 30’ और धर्मा प्रॉडक्शन की भी एक फिल्म में नज़र आएंगे। इसके अलावा, उनके पास एक वेब सीरीज़ भी है।