उत्तराखंड से कैसे रुकेगा पलायन, ध्यान दे धामी सरकार: जनसेवी भावना पांडे
देहरादून। उत्तराखंड से तेजी से हो रहा पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं इस गंभीर मुद्दे पर सरकार मौन है। इस समस्या को लेकर राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। ये कहना है वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे का।
पहाड़ की बेटी भावना पांडे ने कहा कि उत्तराखंड में पलायन एक गंभीर समस्या बना हुआ है। स्थिति यह आ गई है कि शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अब देहरादून जिले के गांव भी पलायन की मार झेलने लगे हैं। ग्रामीण बेहतर जीवन व सुविधाओं के लिए अन्य जगह जाकर कस्बों व शहरों में बस रहे हैं।
जनसेवी भावना पांडे ने पलायन को लेकर जारी ताज़ा रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि देहरादून जिले के 53 गांवों के 2802 व्यक्ति स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं, जबकि 231 ग्राम पंचायतों के 25781 व्यक्तियों ने अस्थायी रूप से पलायन किया है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की देहरादून जिले की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई है, जो आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने हाल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी है।
उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट बताती है कि देहरादून के गांवों से भी पलायन का क्रम थम नहीं रहा है। जिले में सबसे अधिक स्थायी पलायन चकराता विकासखंड से हुआ है। यहां के 16 गांवों के 611 व्यक्ति अब अन्य क्षेत्रों में बस चुके हैं। वहीं, सबसे अधिक अस्थायी पलायन कालसी से हुआ है। यहां के 107 गांव अस्थायी पलायन की जद में हैं। यानी, यहां के निवासियों का गांव में आना जाना लगा रहता है और वे रोजगार के लिए बाहर हैं।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने उत्तराखंड के प्रति अपनी चिंता व तकलीफ बयां करते हुए कहा कि उन्होंने भी पलायन का दर्द झेला है और वे यहाँ के बेरोजगार युवाओं की पीड़ा बहुत अच्छी तरह से समझ सकती हैं। उन्होंने कहा कि बीते 22 वर्षों में उत्तराखंड से तेजी से पलायन हुआ है। पहाड़ के गांव खाली हो चुके हैं। मौजूदा स्थिति ये है कि पहाड़ों में अब सिर्फ़ बंदर और बुजुर्ग ही नज़र आते हैं।
जेसीपी मुखिया भावना पांडे ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट सत्र के दौरान युवाओं व महिलाओं का विशेष ध्यान रखे जाने की बात कही। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार घोषणाएं तो बहुत करती है और योजनाएं भी कईं बनाती है किंतु कुछ समय बाद ही वे ठंडे बस्ते में चली जाती हैं, अंजाम वही ढाक के तीन पात। उन्होंने कहा कि पलायन जैसी गंभीर समस्या पर सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे व जिम्मेदारी से काम करना होगा। तभी उत्तराखंड के आमजन का भला हो पाएगा।