जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो ध्यान रखें ये खास बातें
भले ही आपको आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को आप नजरअंदाज ही क्यों न कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार बुद्धिमान बनने के बारे में है।
थोड़ा पढ़ना, अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना- ये बुद्धिमान बनने के लिए उपाय है।’ आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन के अनुसार बुद्धिमान बनने के लिए इन चीजों का होना बेहद जरूरी है। ये चीजें थोड़ा पढ़ना, अधिक सोचना, कम बोलना और अधिक सुनना हैं। चाणक्य नीति कहती है कि जिस भी लोगों में ये चीजें होती हैं उसका बुद्धिमान बनना तय है साथ ही ऐसे लोगों को हर काम में सफलता मिलती है। सभी के जीवन में कई मौके ऐसे आते हैं जब व्यक्ति को समय-समय पर अपनी बुद्धिमानी का परिचय देना होता है।
थोड़ा पढ़ना
आचार्य चाणक्य के अनुसार जरूरत से ज्यादा ज्ञान होना भी हानिकारक हो सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि ज्यादा जानकारी जुटाने की चाहत में लोग खुद के पैर ही कुल्हाड़ी मार लेते हैं क्योंकि कई बार ऐसे लोग कुछ ऐसी चीजों के बारे में जानकारी जुटाते हैं जो आपके मन को अशांत कर देते है। इसलिए मन को अशांत करने से बचें।
कम बोलना
लोगों में कम बोलने की आदत होनी चाहिए। अक्सर कुछ लोगों की आदत होती है कि वो जरूरत से ज्यादा बोलते हैं। ऐसे लोग ज्यादा बोलने की चक्कर में अक्सर लोगों की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं जिससे कई बार वो अपना ही नुकसान भी कर बैठते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि दूसरों की बातें भी सुनें।
थोड़ा पढ़ना
इंसान अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए किताबों को पढ़ना पसंद करता है। लेकिन चाणक्य जी के अनुसार व्यक्ति को थोड़ा ही पढ़ना चाहिए। इससे ही उसकी समझदारी है।
अधिक सुनना
व्यक्ति को दूसरों की बातें सुनकर उससे ज्ञान लेते रहना चाहिए। ऐसा करने से वो अपने अंदर के ज्ञान को और बढ़ा सकता है। इसलिए दूसरों की बातों को ध्यान से सुनें और उनकी अच्छी बातों को अपने अंदर उतारने की कोशिश करें।
यदि आपने इन सभी चीजों को अपने जीवन में फॉलो कर लिया तो आप बुद्धिमान बन सकते हैं। ये चीजें न केवल आपको बुद्धिमान बनाएंगी बल्कि आपको एक अच्छा इंसान भी बनाने में मदद करेंगी।