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विपत्ति में कोई नहीं देता साथ, ऐसे मुश्किल वक्त के लिए हमेशा बचाकर रखनी चाहिए ये चीज

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार धन की रक्षा पर आधारित है।

“कठिन समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए।” आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का मतलब है कि फिजूलखर्ची बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। इस धन को मुश्किल वक्त के लिए बचा कर रखना चाहिए। अक्सर ऐसा होता है कि मनुष्य धन ज्यादा होने पर फिजूलखर्ची करने लगता है। वो घर में वो समान भी लाने लगता है जिसकी उसे बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। उस वक्त उसके मन में धन को बचाने का कोई भी ख्याल नहीं आता। मनुष्य उस वक्त बस यही सोचता है कि जो भी चीज उसके घर में नहीं है वो बस किसी तरह से उसके पास आ जाए। फिर चाहे उसे उसकी आवश्यकता हो या फिर नहीं।

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दरअसल, मनुष्य का जीवन उतार चढ़ाव से भरा होता है। हमेशा दुख या फिर हमेशा सुख उसके जीवन में नहीं रह सकता। कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य सोचता कुछ और है और हो कुछ और जाता है। उदाहरण के तौर पर बीमारी एक ऐसा घुन है जो किसी के शरीर में लग जाए तो वो कब तक ठीक होगा और उस पर कितना पैसा खर्च होगा इसका अंदाजा किसी को नहीं होता। मान लीजिए आपके घर में सबकुछ ठीक चल रहा है। अचानक किसी की तबीयत बिगड़ी और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया। फिर डॉक्टर ने बोल दिया कि आपको उसकी सर्जरी करवानी पड़ेगी या फिर इस बीमारी से निजात पाने के लिए दवाई लंबे वक्त तक खानी पड़ेगी।

ऐसे में अस्पताल में डॉक्टर की फीस देने के अलावा बाकी खर्चों के लिए आपको धन की ही आवश्यकता पड़ेगी। अगर आपने फिजूलखर्ची नहीं की और धन को बचाकर रखा तो यही पैसा आपके काम आएगा। इसके विपरीत अगर आपके पास उस वक्त पैसा नहीं हुआ तो आपको किसी से उधार लेना पड़ेगा। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मुश्किल वक्त के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए।

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