Uttarakhand

जब भी मुझे बच्चों से बातचीत का अवसर मिलता है, मुझे अच्छा लगता है : CM

देहरादून। मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास कैन्ट रोड़ में ‘‘हरीश रावत फॉर यूथ’’ द्वारा आयोजित छात्र-छात्राओं के सम्मान समारोह में बड़ी संख्या में उपस्थित विद्यालयी छात्रों को सम्बोधित किया। अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि अपनी मौलिकताओं, सस्ंकृति, खानपान, वेशभूषा, परम्परागत खेलों व बोली भाषा से नई पीढ़ी को परिचित कराना हमारा दायित्व है। हमे अपने खान-पान, स्थानीय अनाज, देवी-देवताओं व भाषा-बोली से जुड़े रहना चाहिए। कुछ लोगो द्वारा अपनी परम्परागत खेलो व भोजन को पुनःपरचलित करने के प्रयास सराहनीय है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उन्हें जब भी अपने राज्य के बच्चों से बातचीत का अवसर मिलता है उन्हें अच्छा लगता है। बच्चों का उत्साह व जोश  देखकर मुख्यमंत्री को भी प्रोत्साहन मिलता है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वह चाहते है कि बच्चे उन्हें ‘‘हरीश अंकल’’ के रूप में याद रखे तथा अपना दोस्त समझे।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आज के दिन उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री आवास बड़ी संख्या में बच्चों से गुंजायमान है, यह एक ऐतिहासिक क्षण है। श्री रावत ने कहा कि बच्चे हमारा वर्तमान व भविष्य दोनों ही है। बच्चों के बिना तो हम अपने समाज, राज्य व देश के भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी अधिक बुद्धिमान है। आज की युवा पीढ़ी सूचना प्रौद्योगिकी के विस्फोटक युग में जन्मी है। तकनीकी ने सारी दुनिया में बड़े बदलाव किए है। कभी धनुष, तीर, तलवार जैसे हथियारों का युग था वही आज मोबाइल का युग है। मोबाइल ने पूरी दुनिया को युवाओं की मुठ्ी में कर दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी तथा दुरियॉं कम होने से विश्व को और भी अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने राज्य के बच्चों से अपील की कि यदि इस घोर प्रतिस्पर्धा के युग में दौड़ में टिके रहना है या आगे बढ़ना है तो हमें निरन्तर उत्कृष्ट प्रदर्शन करना होगा और अपने कार्यो की गुणवता में निरन्तर सुधार करना होगा। श्री रावत ने कहा कि आज हम कम्पीटेटिव एक्सीलेन्स के युग में रह रहे है। हर क्षेत्र में केवल प्रथम रहने से काम नही चलेगा बल्कि हमें प्रथम में प्रथम की भावना को पैदा करना होगा। यह एक प्रतिस्पर्धी उत्कृष्टता का युग है।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यदि समाज के नेताओं को भी रेस में टिके रहना है तो उन्हें नई पीढ़ी की तरह सोचना, व्यवहार करना, बोलना व समझना होगा। यदि समाज के नेताओं के द्वारा युवा वर्ग की सोच के साथ सामजंस्य नही बिठाया गया तो एक गैप पैदा हो सकता है। हमें यह गैप समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को समझने व उनसे दोस्ती करने की जरूरत है। हमे वर्तमान पीढ़ी के साथ चलना होगा ताकि हम एक बेहतर भविष्य का निमार्ण कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा पीढ़ी में जमीनी जुड़ाव बहुत आवश्यक है। परम्परागत खेलों के महत्व पर बोलते हुए श्री रावत ने कहा कि पहले समय में उत्तराखण्ड के गांवो में बाघ-बकरी, गुल्ली-डंडा तथा कब्बडी जैसे सामूहिक खेल बडे़ चाव से खेले जाते थे।

विशेषकर युवाओं में परम्परागत भोजन को अपनाने पर बल देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वह स्वयं भी परम्परागत अनाजो मंडुआ आदि का प्रयोग करते है तथा 70 वर्ष की आयु मे बिल्कुल फिट है व एक दिन में निरन्तर 16 घण्टे कार्य करते है। उन्होंने बताया है कि उत्तराखण्ड के स्थानीय अनाज मंडुआ, झंगोरा आदि आयरन व मैगनीश्यम आदि जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। इसी दिशा में राज्य सरकार द्वारा स्थानीय अनाजों के उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न प्रयास कर रही है। गर्भवती महिलाओं को स्थानीय अनाज निशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे है तथा छोटे बच्चों को भी स्थानीय अनाजों से तैयार पोषक आहार ‘‘ऊर्जा‘‘ पाउडर के रूप में प्रदान किया जा रहा है। अपनी बोली-भाषा का अधिकाधिक प्रयोग करने हेतु युवाओं प्रेरित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमें अपनी स्थानीय बोलियों को अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। अपनी भाषा बोली अपनत्व पैदा करती है। उन्होंने कहा कि मॉ के बाद यदि किसी में सबसे अधिक अपनत्व है तो वह अपनी बोली भाषा में है। हमें अपने गांवो, बोली-भाषा, रीति-रिवाजो व खान-पान से जुड़े रहना चाहिए।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने बच्चों से कहा कि उत्तराखण्ड सरकार अपने राज्य के बच्चों के बेहतर भविष्य हेतु प्रतिबद्ध है। वर्तमान में देश के अन्दर उत्तराखण्ड राज्य शिक्षा पर प्रति व्यक्ति सबसे अधिक व्यय करने वाला राज्य है। राज्य में प्रत्येक पांच गांवो पर एक जूनियर हाई स्कूल, नौ गावों में एक हाई स्कूल है। पिछले तीन वर्षो के भीतर राज्य में डिग्री कॉलेजो की संख्या 58 से 110 हो गई है। राज्य में 157 आईटीआई है जो उत्तर प्रदेश के समान है। चिकित्सा शिक्षा हेतु राज्य भर में 6 मेडिकल कॉलेज व 8 नर्सिग कॉलेज कार्यरत है। पर्याप्त मात्रा में इंजीनियरिग कॉलेज है। श्री रावत ने कहा कि जहॉ आज अमेरिका जैसी सुपर पावर देश में 100 में से 24 बच्चे उच्च शिक्षा बच्चे पाते है वही उत्तराखण्ड राज्य में 100 में से 36 बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण करते है। राज्य में पर्याप्त मात्रा में सामान्य व तकनीकी  शिक्षा संस्थान संचालित है। राज्य सरकार अपनी शिक्षा प्रणाली में निरन्तर गुणवता सुधार हेतु प्रयासरत है। मुख्यंमत्री श्री रावत ने शिक्षक समुदाय का आह्वाहन करते हुए कहा कि हमे उत्तराखण्ड में शिक्षा का महाअभियान चलाना है। उन्होंने कहा कि 2025 में विश्व भर में 25 करोड़ कुशल मानव संसाधन की अपेक्षा है। जहां अमेरिका, चीन व जापान जैसे देश बुढ़े हो रहे है वही भारत सम्पूर्ण विश्व में सबसे युवा राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button