जेल से रिहा हुए शरीफ, बेटी मरियम और दामाद
इस्लामाबाद। भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी और दामाद को बुधवार की शाम जेल से रिहा कर दिया गया। इससे कुछ घंटे पहले ही एक शीर्ष अदालत ने उनके राजनीतिक करियर को तबाह करने वाले भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में उनकी सजाएं निलंबित कर दी थीं। अभी भी दुख में डूबे शरीफ परिवार को बड़ी राहत प्रदान करते हुए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने परेशानियों से घिरे पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ, उनकी बेटी मरियम और दामाद कैप्टन (सेवानिवृत्त) मुहम्मद सफदर को एवनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में मिली सजाएं निलंबित कर दीं और उनकी रिहाई के आदेश दिए।
खबर के अनुसार शरीफ के छोटे भाई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष शहबाज शरीफ तथा अन्य पार्टी नेताओं ने उच्च सुरक्षा वाली अदियाला जेल में शरीफ की रिहाई से पहले उनसे मुलाकात की। शहबाज ने पार्टी नेताओं के साथ जेल अधीक्षक के कार्यालय में शरीफ से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान शरीफ ने कहा कि मैंने कछ गलत नहीं किया, मेरा जमीर अब संतुष्ट है। उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा कि सर्वशक्तिशाली अल्लाह सही एवं न्याय का पक्ष लेते हैं। अल्लाह मुझे न्याय दिलाएंगे।
पूर्व में तीन बार प्रधानमंत्री रहे शरीफ, उनकी बेटी और दामाद को कड़ी सुरक्षा के बीच नूर खान एयरबेस ले जाया गया। वहां से वे एक विशेष विमान से लाहौर पहुंचे जहां पार्टी समर्थकों ने तीनों का गर्मजोशी से स्वागत किया। इससे पूर्व दो न्यायाधीशों की एक पीठ ने शरीफ (68), उनकी पुत्री और दामाद की याचिकाओं पर सुनवाई की। इन याचिकाओं में उन्होंने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी है। यह मामला लंदन में चार महंगे फ्लैटों की खरीद से संबंधित है।
फैसले में कहा गया है कि तत्काल रिट याचिका को स्वीकार किया जाता है और याचिकाकर्ता द्वारा दायर अपील पर अंतिम फैसला आने तक जवाबदेही अदालत द्वारा सुनायी गयी सजा निलंबित रहेगी। अपील की सुनवाई के लिए अब तारीख तय की जाएगी। जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश मोहम्मद बशीर ने छह जुलाई को तीनों को सजा सुनायी थी। एवनफील्ड संपत्ति मामले में शरीफ (68), मरियम (44) और सफदर (54) को क्रमश: 11 साल, सात साल और एक साल की सजा सुनायी गयी है।
अभियुक्तों को रिहाई के बाद 10 साल तक चुनाव लडने के लिए या सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति के लिए अयोग्य ठहराया गया था। जवाबदेही अदालत के फैसले के बाद शरीफ परिवार ने उच्च न्यायालय में अलग अलग याचिकाएं दायर की थीं और सजा को स्थगित रखने तथा फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया था। अदालत के इस फैसले से करीब एक सप्ताह पहले ही शरीफ की पत्नी कुलसुम नवाज की लंदन में कैंसर के कारण मौत हो गयी थी। कुलसुम के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए तीनों को संक्षिप्त समय के लिए पैरोल दिया गया था।
पीठ ने तीनों को रावलपिंडी की अदियाला जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया। अदालत ने शरीफ, मरियम और सफदर को पांच-पांच लाख रुपए का मुचलका जमा कराने का निर्देश दिया है। पाकिस्तान मीडिया की खबरों के अनुसार इस फैसले से शरीफ परिवार को अस्थायी राहत मिलेगी और यह राहत अदालत के अंतिम फैसले के आने तक रहेगी। पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो को झटका देते हुए अदालत ने उसके इस अनुरोध को खारिज कर दिया कि पहले याचिकाओं की विचारणीयता पर फैसला किया जाए। पीठ ने देर करने की रणनीति को लेकर एनएबी के वकीलों पर जुर्माना भी लगाया।
इससे पहले सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने भी एनएबी की खिंचाई की थी। न्यायालय ने एवेनफील्ड फैसले के खिलाफ शरीफ परिवार की याचिकाओं की सुनवाई करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार ने एनएबी याचिका को महत्वहीन बताया और भ्रष्टाचार विरोधी निकाय पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
शरीफ ने पिछले साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया था। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था और फैसला दिया था कि पनामा मामले में उनके तथा उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दायर किए जाएंगे। शरीफ ने कोई गड़बड़ी करने से इंकार किया है और उनका कहना है कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि दोषसिद्धि की असली वजह देश की शक्तिशाली सेना के साथ उनका मतभेद होना है। फैसले के बाद विपक्ष के नेता और शहबाज ने ट्वीट किया कि सच्चाई सामने आ गयी है।