जनसेवी भावना पांडे ने दी गंगा दशहरे की शुभकामनाएं, कही ये बात
देहरादून। मां गंगा का अवतरण दिवस गंगा दशहरा आज यानी 9 जून गुरुवार के दिन मनाया जा रहा। इस दिन गंगा स्नान व पूजन का विधान एवं विशेष महत्व है। इस खास अवसर पर प्रसिद्ध जनसेवी, राज्य आंदोलनकारी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दी।
अपने संदेश में जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस बार गंगा दशहरा आज यानि 9 जून दिन गुरुवार को है। आज के दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को पापकर्मों से छुटकारा मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति गंगा नदी में स्नान करने न जा सके तो वह किसी अन्य पवित्र नदी में या घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगा जल डालकर व गंगा मैय्या का ध्यान करता हुआ स्नान कर सकता है।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने आगे कहा कि हम प्रत्येक वर्ष गंगा मैया से जुड़े पौराणिक पर्व मनाते हैं किंतु बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि आस्था का केंद्र व पवित्र माने जाने वाली गंगा नदी आज मैली नज़र आती है। उन्होंने गंगा नदी से जुड़ी गंभीर समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि गंगा जी अपने उद्गम स्थल गंगोत्री के निकट से ही दूषित होनी शुरू हो जाती है। उत्तरकाशी से ही गंगा (भागीरथी) में कूड़ा-कचरा, गंदगी व दूषित जल गिरने लग जाता है। परिणाम स्वरूप ऋषिकेश और हरिद्वार तक आते-आते गंगा का जल दूषित नज़र आने लगता है। जबकि मैदानी क्षेत्रों खास तौर पर कोलकाता तक पहुँचते-पहुँचते गंगा पूरी तरह से अपना अस्तित्व खो चुकी होती है और एक बड़े नाले के रूप में प्रतीत होती है, जो बड़े ही अफ़सोस की बात है।
जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि ये बड़ी ही शर्मनाक बात है कि सब कुछ जानते हुए भी गंगा मैया की इस दुर्दशा पर कोई कुछ करने वाला नहीं है। सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि एवं सरकारें इस गंभीर मुद्दे पर मौन हैं। उन्होंने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि गंगा सफाई के नाम पर करोड़ों रुपयों का बजट पास किया जाता है किंतु गंगा में सफाई के नाम पर कुछ नहीं किया जाता, परिणाम वहीं ढाक के तीन पात। सरकार के द्वारा दिखावे के लिए ‘नमामि गंगे’ जैसी परियोजनाएं भी चलाई जाती हैं किंतु गंगा दूषित होने से नहीं बच पाती। ऐसा लगता है मानों मंत्रियों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों के द्वारा इन परियोजनाओं के नाम पर जारी धन को ठिकाने लगाया जा रहा है और गंगा मैया के नाम पर खूब चाँदी काटी जा रही है।
जेसीपी मुखिया भावना पांडे ने कहा कि उत्तराखंड से लेकर कोलकाता तक सभी छोटे-बड़े शहरों जहाँ-जहाँ से गंगा होकर गुजरती है, दूषित जल, मल-मूत्र एवँ फैक्ट्रीयों से निकलने वाले खतरनाक रसायनों को धड़ल्ले से गंगा में गिराया जा रहा है मगर कार्रवाई करने वाला कोई नहीं। कमोबेस यही हाल गंगा की अन्य सहायक नदियों का भी है। उन्होंने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का जिक्र करते हुए कहा कि बिंदाल, रिस्पना, सौंग, आसन और टोंस जैसी नदियां कभी देहरादून की शान एवँ यहाँ की सुंदरता की प्रतीक हुआ करती थीं किन्तु बढ़ते शहरीकरण एवँ सरकारी लापरवाही के चलते आज ये प्रमुख नदियां गन्दे नालों में तब्दील हो चुकी हैं।
उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने कहा कि हिमालय की गोद से निकलने वाली एवं आमजन को लाभान्वित करने वाली हमारे देश की नदियों की दुर्दशा के लिए केंद्र एवँ राज्य सरकारें पूरी तरह से जिम्मेदार है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार को अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए नदियों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा एवँ इन नदियों को दूषित करने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी होगी तभी गंगा जैसी पवित्र हमारी नदियों का अस्तित्व बच पाएगा।