जानिए क्या है अनुच्छेद 35 ए ? जिसको लेकर बरपा है हंगामा
नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया और स्पष्ट किया है कि जम्मू कश्मीर के बारे में विशेष प्रावधान करने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी घोषित करने के लिये संविधान में संशोधन करने की कानूनी बाध्यता नहीं है। पढ़िए आखिर क्या है अनुच्छेद 35 ए…
इसके मुताबिक राज्य:
– यह तय करे कि जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है?
– किसे सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जाएगा?
– किसे संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा?
– किसे जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा?
– छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता और किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ किसे मिलेगा?
धारा 370 के विशेष अधिकार:
धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए।
इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं ख़रीद सकते।
भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के संबंध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी।