Ajab-GajabBreaking News

जानिए, क्या सचमुच दूध पीता है सांप

हमारे समाज में सांपों को लेकर अनेक प्रकार के भ्रम फैले हुए हैं। इन्हीं में से एक है सांपों का दूध पीना। प्रत्येक वर्ष नागपंचमी के अवसर पर हजारों लोग सांपों को दूध पिलाने का प्रयास करते नजर आते हैं। अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई सांप दूध पीता है या से सिर्फ हमारी आंखों का भ्रम मात्र है। 
विश्‍व की लगभग सभी सभ्‍यताओं में सांपों को किसी न किसी रूप में पूजने का रिवाज रहा है। यूनानी देवता एस्‍क्‍लीपियस, जोकि औषधि के देवता माने जाते हैं, केपास मौजूद पंखों वाले दण्‍ड पर दो सांप दर्शाये गये हैं। मिस्र की उर्वरता की देवी एक नागमुखी नारी के रूप में चित्रित की गयी हैं। यही नहीं मिस्र के सभी प्राचीन फेरो के मुकुट पर नाग की आकृति बनी होती थी।
आस्‍ट्रेलिया में अजगर सांप की पूजा की जाती रही है। वहां के आदिवासी उसे बहुत सम्‍मान की दृष्टि से देखते थे। उनका मानना था कि अजगर (इन्‍द्रधनुष) में स्‍वच्‍छ जल के देवता निवास करते हैं तथा जो व्‍यक्ति नियमों को तोड़ता है, ये उसको सजा भी देते हैं। एथेना, जोकि यूनान में बुद्धि की देवी मानी जाती हैं, के चित्रण में जिस ढ़ाल का प्रयोग किया गया है, उसपर भी एक सांप उकेरा रहता है।
अमेरिकी आदिवासियों का एक वर्ग एजटैक सांप को मानव के गुरू के रूप में मानता है। वे लोग सांपों की पूजा क्‍वेटजालकोटल के रूप में करते थे, जिसे एक अर्धमानव-अर्धईश्‍वर के रूप में माना गया है। होपी रेड इण्डियन सांपों को बारिश के दूत के रूप में मानते रहे हैं। अफ्रीका के लगभग सभी आदिवासी अजगर सांपों को पूज्‍यनीय मानते रहे हैं और उसका विशेष सम्‍मान करते हैं।

भारतीय मान्‍यता में भगवान विष्‍णु की शय्या के रूप में शेषनाग को दर्शाया गया है तथा भगवान शिव के गले में नांगों की माला दर्शायी जाती है। इसके अतिरिक्‍त अन्‍य तमाम धार्मिक आख्‍यान हैं, जिनमें नागों का उल्‍लेख आया है। पश्चिम बंगाल में मां मन्‍शा को सांपों की देवी के रूप में पूजा जाता है।

इस प्रकार हम यह देखते हैं कि सांपों को सम्‍पूर्ण विश्‍व में श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है। भारत में नागपंचमी के दिन विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस पूजा के दौरान सांपों को दूध पिलाने की परम्‍परा है। आज भी यह परम्‍परा लगभग सारे भारत वर्ष में चल रही है। लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि सांपों को दूध पिलाने के बहाने आप उनके विनाश के कारक बन रहे हैं। कैसे आइए आप विस्‍तार से जानें।

Snake drinking milk
दूध पीना सांप की प्रकृति नहीं:
सरीसृप वर्ग और विशेषकर सांपों की एक अन्‍य विशेषता यह भी है कि इनके शरीर को अतिरिक्‍त पानी की आवश्‍यकता नहीं होती है। इनके शरीर को जितने पानी की आवश्‍यकता होती है, उसकी पूर्ति ये अपने शिकार के शरीर में मौजूद पानी से कर लेते हैं। यही कारण है कि सांप दूध भी प्राकृतिक रूप से नहीं पीते हैं। दूध पीना स्‍तनधारियों का लक्षण है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि नागपंचमी के दिन जो सपेरे सांप लेकर घूमते हैं, वे कैसे दूध पी लेते हैं। इसका सीधा सा जवाब यह है कि नागपंचमी के दिन जो सांप दूध पीते हुए दिख जाते हैं, उन्‍हें 15-20 दिनों से भूखा प्‍यासा रखा गया होता है। ऐसे में जब भूखे  सांप के सामने दूध आता है, तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए विवशता में दूध को गटक लेता है।
दूध पिलाना, मतलब मौत के मुंह में धकेलना:
भूख की वजह से विवश सांप जब दूध को गटक तो लेता है, लेकिन उसे हजम नहीं कर पाता। दूध उसके फेफड़ों पर असर डालता है। इससे उसके शरीर में इंफेक्शन फैलने लगता है, जिससे कुछ समय के बाद उसके फेफड़े फट जाते हैं और अंतत: सांप की मृत्यु हो जाती है।यानी कि जो व्‍यक्ति किसी भी बहाने से सांप को दूध्‍ा पिला रहा है, वह पुण्‍य का काम नहीं कर रहा, बल्कि मृत्यु का कारक बन रहा है। इसके साथ ही वह संपेरों को अवैध रूप से सांपों को पकड़ने और प्रताणित करने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसलिए यदि आप सांपों के वास्‍तव में हितैषी हैं, तो उन्‍हें दूध नहीं पिलाएं बल्कि उन्‍हें उनके मुक्‍त आवास तक पहुंचाने में मदद करें। ऐसा करके आप वास्‍तव में पुण्‍य का काम करेंगे और एक अच्‍छे इंसान ही नहीं जीव प्रेमी के रूप में भी जाने जाएंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button