जानें क्यों किया जाता है नवरात्रि पूजन, कैसे करें मां को प्रसन्न
नई दिल्ली। नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है। देशभर में रविवार से नवरात्रि की पूजा की जा रही है। आपको बता दें कि नवरात्रि साल में दो बार आती है पहली चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि। इसके अलावा आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले दो गुप्त नवरात्रि पर भी मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं। ज्योतिषी की दृष्टि से चैत्र नवरात्रि विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि से ही नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद नवरात्रि के नौ दिन मां की पूजा जाती है।
नवरात्रि के नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरुप की पूजा की जाती है। चैत्र में नवरात्रि में उपासना, पूजा करने से आत्मशुद्धि के साथ-साथ घर की नाकारात्मकता भी दूर होती है और वातावरण में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सकारात्मक ऊर्जा की प्रतीक चैत्र नवरात्रि इस बार 18 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक चलेंगी। लेकिन इस बार नवमी तिथि का क्षय होने कारण नवरात्रि आठ दिन की होगी।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च । सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।
तिथि अनुसार पूजनः
18 मार्च (रविवार), 2018 : घट स्थापन एवं मां शैलपुत्री पूजन-
19 मार्च (सोमवार), 2018 : मां ब्रह्मचारिणी पूजन
20 मार्च (मंगलवार), 2018 : मां चंद्रघंटा पूजन (गणगौर पूजन )
21 मार्च (बुधवार), 2018 : मां कुष्मांडा पूजन
22 मार्च (बृहस्पतिवार ), 2018: माँ स्कंदमाता पूजन
23 मार्च (शुक्रवार ), 2018: मां कात्यायनी पूजन
24 मार्च (शनिवार), 2018 :मां कालरात्रि पूजन, मां महागौरी पूजन (दुर्गा अष्टमी पूजन)
25 मार्च (रविवार ), 2018 : सिद्धिदात्री पूजन, रामनवमी
कन्या पूजन का है विशेष महत्व:
हिन्दू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। माँ भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं। नौ कुमारी कन्याओं को बुलाकर भोजन करा सब को दक्षिणा और भेंट देते हैं। कुमारी कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ:वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्षकी दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं। प्रायः इससे उपर की आयु वाली कन्या का पूजन नही करना चाहिए।
इन कन्याओं के पूजन से मिलता है लाभ :
“कुमारी” नाम की कन्या जो दो वर्ष की होती हैं उनका पूजन करने से दुःख तथा दरिद्रता का नाश, शत्रुओं का क्षय और धन, आयु की वृद्धि होती है।
“त्रिमूर्ति” नाम की कन्या का पूजन करने से धर्म-अर्थ काम की पूर्ति होती हैं पुत्र- पौत्र आदि की वृद्धि होती है।
“कल्याणी” नाम की कन्या का नित्य पूजन करने से विद्या, विजय, सुख-समृद्धि प्राप्त होती हैं।
“रोहणी” नाम की कन्या के पूजन रोगनाश हो जाता हैं।
“कालिका” नाम की कन्या के पूजन से शत्रुओं का नाश होता हैं।
“चण्डिका” नाम की कन्या के पूजन से धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं।
“शाम्भवी” नाम की कन्या के पूजन से सम्मोहन, दुःख-दरिद्रता का नाश व किसी भी प्रकार के युद्ध में विजय प्राप्त होती हैं।
“दुर्गा” नाम की कन्या के पूजन से क्रूर शत्रु का नाश, उग्र कर्म की साधना व पर-लोक में सुख पाने के लिए की जाती हैं।
सुभद्रा– मनुष्य को अपने मनोरथ की सिद्धि के लिए “सुभद्रा” की पूजा करनी चाहिए।