जनसेवी भावना पांडे ने कहा- उत्तराखंड में मजबूत भू कानून की आवश्यकता है
देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध समाजसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने सरकार से उत्तराखंड में मजबूत भू कानून लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भू कानून को सख्त करने के बजाए सरकार ने इसे और लचीला कर दिया है जिस वजह से राज्य के मूल निवासियों के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है।
जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि सख्त भू-कानून न होने की वजह से उत्तराखंड में बाहर के लोगों की चहलकदमी तेजी से बढ़ती जा रही है। आज स्थानीय निवासी हाशिये पर हैं और बाहर से आये हुए लोग मौज कर रहे हैं, हमारी मांग है कि एक सशक्त भू-कानून लागू हो। उन्होंने कहा कि धामी सरकार को चाहिए कि वे इस दिशा में जल्द कदम उठाएं। आज उत्तराखंड का प्रत्येक निवासी सरकार से सख्त भू कानून की मांग कर रहा है।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि भू कानून लागू करने के लिए उन्होंने कईं बार महीनों तक आंदोलन किये किन्तु सरकार ने इसे सख्त करने की जगह और लचीला बना दिया है। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून ऐसा ही बना रहा तो बाहरी लोगों का प्रदेश की जमीनों पर कब्जा हो जाएगा। सरकार ने इस कानून को आसान बनाकर प्रत्येक उत्तराखंडी के साथ अन्याय किया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वे इस मुद्दे को लेकर पुनः आंदोलन करेंगी।
जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि सरकार ने एक वर्ष पूर्व ये घोषणा की थी कि भू कानून को लेकर कमेटी का गठन किया जा चुका है, किन्तु ऐसा कहकर सरकार ने सिर्फ प्रदेश वासियों को मूर्ख बनाया। उन्होंने कहा कि भू कानून लागू न होने की वजह से उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से आये माफियाओं का राज बढ़ता जा रहा है जिस वजह से स्थानीय निवासियों के भीतर असुरक्षा का भय पैदा हो गया है।
उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर स्थानीय लोग बेबस और लाचार होकर अपनी जमीनों को कम दामों में बाहरी लोगों को बेच रहे हैं और आसानी से भू माफिया उत्तराखंड में बड़ी-बड़ी ज़मीने खरीदकर बड़ा खेल कर रहे हैं। यदि ये सब यूं ही चलता रहा तो उत्तराखंड की दुर्दशा होने से कोई नहीं रोक पाएगा। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि भू कानून में तत्काल संशोधन कर इसे सख्त बनाया जाए, जिससे देवभूमि उत्तराखंड का अस्तित्व बरकरार रह सके।