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जनसेवी सुभाष शर्मा ने पेश की अनोखी मिसाल, पढ़ें पूरी खबर

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में प्रकृति का अनमोल खजाना भरा पड़ा है। हरे-भरे नाना प्रकार के वृक्ष, जड़ी बूटियां और ऐसे पौधे जो जीवनदायिनी पौधों के रूप में जाने जाते हैं यहाँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। अक्सर लोग सोचते हैं, जो वृक्ष, पौधे पहाड़ों में होते हैं वह जलवायु की वजह से देहरादून जैसी जगह में नहीं हो सकते।

इस कथन को गलत साबित किया है प्रसिद्ध समाजसेवी एवं प्रकृति प्रेमी सुभाष शर्मा ने। उन्होंने अपने आंगन में ऐसे नायाब वृक्ष और पौधे लगाए हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्या वाकई यह वृक्ष और पौधे देहरादून जैसी जगह में भी हो सकते हैं! जी हां सुभाष शर्मा ने अपने घर के बगीचे में तेजपत्ता, दालचीनी, टिमरू, कॉफी और लेमन टी आदि कई प्रकार के पौधे लगाकर एक मिसाल पेश की है।

वरिष्ठ पत्रकार नित्यानंद भट्ट से की गई बातचीत में सुभाष शर्मा ने कहा कि वे मूल रूप से पहाड़ से संबंध रखते हैं। देवभूमि के पहाड़ों में ऐसे नयाब वृक्ष और पौधे हैं जो अनमोल है। जीवनदायिनी वृक्ष और पौधों के रूप में इन्हें पहचाना जाता है। उन्होंने कहा कि, “अक्सर मेरे दोस्त मुझसे कहते थे कि यह वृक्ष देहरादून या मैदानी क्षेत्रों में नहीं हो सकते। इस कथन को गलत साबित करते हुए मैं पहाड़ से जाकर टिमरू का पौधा लाया। साथ ही तेज पत्ता जिसे दालचीनी का पता भी कहा जाता है। उसे भी अपने आंगन के बगीचे में रोपा।

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आज इसी का परिणाम है कि मेरे द्वारा लगाए गए वृक्ष हरे भरे हो गए हैं। साथ ही मैंने लाल मारछा जिसे लाल चौलाई भी कहा जाता है और लेमन टी का पौधा भी रोपा। जो आज हरे भरे नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि देहरादून में कॉफी की फसल नहीं होती। किंतु इस बात को गलत साबित करते हुए उन्होंने कॉफी का पौधा लगाया, जो अब फल देने लगा है।

शर्मा ने कहा कि भविष्य में और अधिक पौधारोपण करने की उनकी योजना है। साथ ही उन्होंने सभी से अपील की है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम 10 वृक्ष अवश्य लगाने चाहिए जिससे पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके एवं प्रकृति को हरा-भरा बनाया जा सके।

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