Uttarakhand

जो देश नहीं संभाल पा रही है, वो राज्य क्या संभालेगी

देहरादून। वन रैंक पेंशन के मामले के साथ ही यहां इस बात की चर्चा भी जरूरी है कि केन्द्र सरकार के क्रियाकलाप उत्तराखण्ड के विकास को भी रोके हुये हैं। क्योंकि कई स्वीकृत योजनाओं का बजट भी केन्द्र सरकार ने रोका हुआ है, जिसके कारण वह योजनायें अधर में लटकी हुयी हैं। इस बात के चलते यह भी कहा जा सकता है कि जो केन्द्र में रहते हुये इस तरह के कार्य कर सकती है तो राज्य की सत्ता को क्या संभाल पायेगी। अर्थात भारतीय जनता पार्टी केन्द्र में रहते हुये उत्तराखण्ड के विकास में रोक लगाये बैठी है। अगर उत्तराखण्ड में काबिज हो गयी तो राज्य के विकास की प्रक्रिया रूक ही जायेगी। देहरादून में वन रैंक-वन पेंशन मामले में प्रदेश महिला कांग्रेस कार्यकत्रियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। मोदी सरकार का पुतला दहन कर कांग्रेस कार्यकत्रियों ने केंद्र पर पूर्व सैनिकों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। कांग्रेस कार्यकत्रियों ने कहा कि उनकी पार्टी देश की सीमाओं पर तैनात भारतीय सेना के जवानों और पूर्व सैनिकों का सम्मान करती है।

देश की सत्ता पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी को इतना तो अहसास होना चाहिए कि जो पूरे देश की रक्षा करते हैं, उनको तो न ठगा जाय। जिनके कारण आम आदमी आजादी के साथ घर से बाहर निकलता है और जिनके कारण माता-बहनों की लाज बची हुयी है। उन जवानों के साथ ऐसा सुलूक होना बेहद निंदनीय है। जो मांग पूरी करने की स्वीकृत होने के बाद भी भाजपा पूर्व सैनिकों के साथ छलावा कर रही है। जो कि बेहद ही शर्मनाक बात है। कार्यकत्रियों ने कहा कि पूर्व सैनिक वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। यूपीए सरकार ने उनकी इस मांग को मानते हुए वन रैंक-वन पेंशन लागू करने का फैसला लिया था, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व सैनिकों के साथ छलावा किया। जिससे पूर्व सैनिक अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वन रैंक-वन पेंशन के मामले में पूर्व सैनिकों को लगातार गुमराह किया जा रहा है। भाजपा की इन सैनिक विरोधी नीतियों के चलते पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल ने दिल्ली में आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा है। पार्टी कार्यकत्रियों ने पूर्व सैनिक के परिजनों को सांत्वना देने जा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने का विरोध किया। इसके साथ ही सरकार से सैनिकों और पूर्व सैनिकों से क्षमा याचना करने की मांग करती है।

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