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कांटोभरी डगर: कैलाश मानसरोवर यात्रा

पिथौरागढ़। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाना कांटोभरी डगर पर चलने के समान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यात्रा मार्ग पूरी तरह से जर्जर हालत में है। वही पिथौरागढ़ के  जिस मार्ग से यात्रियों को कैलाश-मानसरोवर तक जाना है, उसकी स्थिति बारिश- बर्फबारी से खस्ताहाल है। मार्ग का निरिक्षण कर लौटी टीम ने जिला प्रसाशन को मार्ग के बदतर होने की रिपोर्ट दी।

 कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग में दूसरे पड़ाव गाला से लेकर बूंदी तक का मार्ग सबसे दुर्गम और दुरूह माना जाता है। पैदल यात्रा मार्ग के समानांतर गर्बाधार -लिपूलेख सड़क का निर्माण चल रहा है। इससे कैलास पैदल मार्ग और खराब हुआ है।

 

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27 किमी मार्ग में चार स्थल खतरनाक:

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प्रशासन द्वारा नाबीढांग तक मार्ग के निरीक्षण के लिए भेजा गया दल वापस लौट चुका है। दल ने रिपोर्ट में बताया है कि गर्बाधार से बूंदी तक 27 किमी मार्ग में चार स्थल खतरनाक बने हैं। इन स्थानों पर मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति की गई है। खतरनाक माने जाने वाले स्थानों पर पहले तो रेलिंग लगी ही नहीं है।

यदि कहीं लगी भी है तो यह रेलिंग मलबे से टूट चुकी है। लखनपुर से खानमा डेरा के मध्य सड़क की हालत बेहद खराब है। जिसमें चल पाना भी मुश्किल हो रहा है। नजंग से मालपा के मध्य भी मार्ग बदतर है। थक्ती पुल में बिछाई गई लकड़ी तक नहीं बदली गई है। पुल की हालत खराब है।

इस संबंध में एसडीएम आरके पांडेय ने बताया कि मार्ग की रिपोर्ट मिलने के बाद कार्यदायी संस्था के कार्य को लेकर तथ्य और साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।

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