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कभी फिल्मों में छाया हुआ था ये अभिनेता, आज हो गयी ऐसी हालत

लुधियाना। कहते हैं समय बड़ा बलवान होता है, उसे बदलते देर नहीं लगती। वो एक पल में आसमाँ की बुलंदियों पर बैठा देता है, तो वहीँ ज़मीं पर भी ला पटकता है। कुछ ऐसा ही हश्र हुआ है अपने ज़माने के प्रसिद्ध अभिनेता सतीश कौल के साथ। आपको बता दें कि 64 साल के सतीश कौल की हालत बेहद खराब है। रहने काे घर नहीं है। 2015 में प्रकाश सिंह बादल ने पंजाबी यूनिवर्सिटी से 11 हजार रुपये की पेंशन शुरू करवाई थी। लेकिन अब वह भी बंद हो चुकी है।

ऐसे में पंजाबी सिनेमा के अमिताभ के नाम से मशहूर रहे सतीश की हालत वर्तमान सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को पता चली तो उन्होंने मदद करने का आश्वासन दिया है। अमरिंदर सिंह ने लिखा है- आइकॉनिक एक्टर सतीश कौल की हालत के बारे में जानकर दुख हुआ। लुधियाना के अधिकारी को उनकी हालत के बारे में रिपोर्ट भेजने को कहा है। राज्य सरकार उनकी पूरी मदद करेगी।

गौरतलब है कि दिलीप कुमार-नूतन की फेमस फिल्म ‘कर्मा’ में नजर आए सतीश लंबे समय से बिस्तर पर हैं और कोई अपना उनकी सुध लेने वाला भी नहीं है। दरअसल, पत्नी से तलाक और बेटे के अमेरिका में शिफ्ट हो जाने के बाद सतीश ने एक्टिंग स्कूल खोला, लेकिन वो भी नहीं चला और उनके पैसे डूब गए। उनकी इस एक गलती की वजह से वे आर्थिक रूप से भी काफी कमजोर हो गए।

जुलाई, 2014 में बाथरुम में फिसलने की वजह से सतीश को स्पाइनल फ्रैक्चर हो गया। इसकी वजह से उन्हें लंबे समय तक हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ा। उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि दवाओं के बिल चुकाने तक के पैसे भी नहीं बचे थे। बाद में लुधियाना के ही एक सोशल ऑर्गनाइजेशन ने उनकी मदद की और उन्हें एक ओल्डएज होम में एडमिट कराया गया।

पत्नी और बेटे के साथ छोड़कर चले जाने से सतीश कौल डिप्रेशन में चले गए। ऐसे में उन्होंने खुद को सबसे अलग कर लिया और फिल्में करना भी बंद कर दीं। फिल्मी दुनिया से कटने के बाद इंडस्ट्री के दोस्तों ने भी उनका साथ छोड़ दिया, जिससे सतीश कौल बिल्कुल अकेले पड़ गए। सतीश कौल आखिरी बार 1998 में आई फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ में नजर आए थे। सतीश कौल ने 90 के दशक में आने वाले टीवी शो ‘विक्रम और बेताल’ व ‘अप्पू और पप्पू की जोड़ी’ में भी काम किया था।

8 सितंबर 1954 को कश्मीर में जन्मे सतीश ने पंजाबी और बॉलीवुड की 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। बॉलीवुड में वे ‘भक्ति में शक्ति’ (1978), ‘डांस डांस’ (1987), ‘राम लखन’ (1989), ‘एलान’ (1994), ‘जंजीर’ (1998) और ‘प्यार तो होना ही था’ (1998) जैसी फिल्मों में नजर आए। वहीं पंजाबी में ‘जट पंजाबी’ (1979), ‘छम्मक छल्लो’ (1982), ‘ससी पन्नू’ (1983), और ‘पटोला’ (1987) जैसी फिल्में की हैं। कहा जाता है कि बॉलीवुड से ज्यादा वे पंजाबी सिनेमा में पॉपुलर थे। एक दौर में उनकी पॉपुलैरिटी को देखकर जट के नाम से बनने वाली हर फिल्म में सतीश को बतौर हीरो साइन किया जाता था।

खबरों के मुताबिक, सतीश जब अस्पताल में भर्ती थे तो एक कर्मचारी ने सतीश का ऑडियो मैसेज रिकॉर्ड कर सोशल साइट्स पर पोस्ट कर दिया। इसमें वे कह रहे थे कि उन्हें आज बहुत बुरा लग रहा है। वे हर वक्त मौत का रास्ता देख रहे हैं। न जानें किन पापों की सजा मिल रही है। उन्होंने यहां तक कहा था कि उनके साथ जो हुआ, वह किसी दुश्मन के साथ भी न हो।

सतीश ने 1969 में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से ग्रैजुएशन किया है। बॉलीवुड स्टार जया बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, जरीना वहाब, डैनी डेंजोंग्पा और आशा सचदेव उनके बैचमेट रहे हैं। साल 2011 में पंजाबी चैनल PTC ने सतीश को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा था।

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