कान्हा के जन्मदिन को लेकर असमंजस में भक्त!
देहरादून। भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देश-विदेश में बड़े धूमधाम से मनाने की तैयारियों जोरो से चल रही हैं। हिन्दू पंचाग के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी की मध्यरात्रि को हुआ था। भक्त ठाकुर जी के जन्मदिन का जश्न पूरी रात मनाते हैं। कान्हा की आरती, पूजा, भजन सब चलते है। मंदिरों से लेकर घरों तक 56 भोग लगाया जाता है। जन्माष्टमी का व्रत सबसे बड़ा माना जाता है, लेकिन इस बार कान्हा के जन्मदिन को लेकर भक्त असमंजस में है कि वे 14 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएं या 15 अगस्त को।
दरअसल कृष्णा का जन्म भादप्रद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में वृष के चंद्रमा में हुआ था। इस बार 14 अगस्त्ा की शाम 7: 48 बजे अष्टमी तिथि लग जाएगी, जो मंगलवार शाम 5:42 बजे तक रहेगी। ऐसे में लोग जन्माष्टमी को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं।
शास्त्रों के अनुसार पूजा पाठ में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है और 15 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी उदया तिथि में होने के कारण उसी दिन मनाई जाएगी। वैसे 15 अगस्त को शाम 5.42 के बाद नवमी तिथि लग जाएगी, लेकिन उदया तिथि होने के कारण 15 अगस्त को पूरा दिन अष्टमी का प्रभाव रहेगा।
शैव संप्रदाय की जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाई जाएगी, वही वैष्णव संप्रदाय की जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी।
भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, लेकिन इस बार ये नक्षत्र 15 अगस्त को शाम 5:42 बजे खत्म हो जाएगा। इसके बाद कृतिका नक्षत्र आ जाएगा।
रोहिणी नक्षत्र रात 2:32 बजे शुरू हो होगी, जो 16 अगस्त रात 12.50 बजे तक रहेगा। हिन्दू पंचाग के अनुसार उदया तिथि को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और अष्टमी की उदया तिथि 15 अगस्त को है।