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करणी सेना देखेगी फिल्म, भंसाली का न्यौता किया स्वीकार
कालवी बोले कि संजय लीला भंसाली 5 साल बाद, 10 साल बाद या 15 साल बाद, जब भी फिल्म दिखाना चाहें, वह देखने को तैयार हैं। लेकिन, रिलीज से पहले ये सब होना चाहिए। कालवी ने कहा, ‘पद्मावत को लेकर उत्तर प्रदेश भी अन्य राज्य सरकारों की तरह चिंतित है। जब पद्मावती नाम से यह फिल्म सामने आई और विरोध शुरू हुआ तो योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले आवाज उठाई थी। अब हम पद्मावती नहीं पद्मावत के विरोध में खड़े हैं। इसे रोकने के लिए अंतिम हथौड़ा चलना चाहिए। अब यह सीएम योगी ही बताएंगे कि वह इस फिल्म को लेकर क्या कदम उठाएंगे। हमारा काम अपील करना था।’ उन्होंने पद्मावत दिखाने के लिए भंसाली के पत्र पर भी प्रतिक्रिया दी। कालवी ने कहा, ‘संजय लीला भंसाली की तरफ से पत्र आया है, लेकिन वह एक धोखा है। फिल्म देखने के लिए बुलाया है, लेकिन तारीख नहीं बताई है। मैं तो फिल्म देखने के लिए भी तैयार हूं। मैं चाहता हूं कि मीडिया भी साथ चले। भंसाली से अपील है कि वह मजाक न बनाएं। वह तारीख बताएं, मैं फिल्म देखूंगा।’ वहीं, राजस्थान में करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना का कहना है कि फिल्म किसी भी हाल में रिलीज नहीं होने दी जाएगी। इसमें इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद ‘पद्मावत’ को देश भर में 25 जनवरी को रिलीज किया जाएगा। शीर्ष अदालत के बावजूद फिल्म के खिलाफ विरोध नहीं थम रहे हैं। कई जगहों पर करणी सेना का हिंसक प्रदर्शन जारी है। संगठन ने फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने देने का एलान किया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने भी अब फिल्म को प्रदर्शित नहीं होने देने की चेतावनी दी है। तोगड़िया ने कहा है कि वीएचपी इसके खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगी। तोगड़िया ने फिल्म की रिलीज पर रोक के लिए केंद्र सरकार से जल्लीकट्टू की तर्ज पर अध्यादेश लाने की मांग की है।