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करतारपुर कॉरिडोर: मोदी ने कहा- इमरान खान नियाजी को धन्यवाद देता हूं

गुरदासपुर/इस्लामाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पंजाब के गुरदासपुर में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया। उन्होंने डेरा बाबा नानक स्थित कॉरिडोर के चेकपोस्‍ट से 550 श्रद्धालुओं कापहला जत्था करतारपुर रवाना किया। मोदी ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और अन्य नेताओं के साथ लंगर में भोजन किया। उन्होंने रैली में कहा कि कॉरिडोर को कम वक्त में तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी को धन्यवाद देता हूं। पाकिस्तान के श्रमिक साथियों का भी आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने इतनी तेजी से अपनी तरफ के कॉरिडोर को पूरा करने में मदद की। इस कॉरिडोर का निर्माण कार्य 11 महीने में पूरा हुआ है।

  • मोदी ने कहा, ”मेरा सौभाग्य है कि आज देश को करतारपुर कॉरिडोर समर्पित कर रहा हूं। जैसी अनुभूति आप सभी को कार सेवा के समय होती है, वही, मुझे इस वक्त हो रही है। दुनियाभर में बसे सिख भाई-बहनों को बधाई देता हूं। गुरु नानक देव जी, सिर्फ सिख पंथ की, भारत की ही धरोहर नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा पुंज हैं। गुरु नानक देव एक गुरु होने के साथ-साथ एक विचार हैं, जीवन का आधार हैं।”
  • ”उन्होंने सीख दी कि धर्म तो आता जाता रहता है लेकिन सत्य मूल्य हमेशा रहते हैं। उन्होंने सीख दी है कि अगर हम मूल्यों पर रह कर काम करते हैं तो समृद्धि स्थायी होते हैं। करतारपुर के कण-कण में गुरु नानक देवजी के पसीने की महक मिली है। यहां की वाणी में उनकी वाणी की गूंज मिली हुई है।”

पाकिस्तान में भी उद्घाटन समारोह

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, ”बंटवारे के बाद पहली बार आज सीमाएं खत्म हुई हैं। दोस्त इमरान खान के योगदान को कोई नकार नहीं सकता है। इसके लिए मोदीजी को भी धन्यवाद देता हूं।” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा, ”ऐतिहासिक करतारपुर साहिब कॉरिडोर का खुलना क्षेत्रीय शांति के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता का नमूना है। हमारा विश्वास है कि क्षेत्र की समृद्धि का रास्ता और आने वाली पीढ़ियों का बेहतर भविष्य शांति कायम करने में हैं। आज हम न सिर्फ सीमा बल्कि सिख समुदाय के लिए अपना दिल भी खोल रहे हैं।’’

मोदी ने बेर साहिब गुरुद्वारे में माथा टेका

  • प्रधानमंत्री मोदी सुबह करीब 11 बजे डेरा बाबा नानक पहुंचे। उन्होंने सुल्तानपुर लोधी में बेर साहिब गुरुद्वारे में माथा टेका। डेरा बाबा नानक में अकाली नेता सुखबीर बादल, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, गुरदासपुर से सांसद सन्नी देयोल ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। यहां मोदी ने भजन-कीर्तन में हिस्सा लिया।
  • करतारपुर जाने वाले पहले जत्थे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, हरदीप पुरी, पूर्व उपमुख्यमंत्री व शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल, कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू, सनी देओल के अलावा पंजाब के सांसद और विधायक शामिल हैं।

करतारपुर कॉरिडोर: भारत-पाकिस्तान में सद्‌भाव का 5वां सबसे बड़ा कदम

सिंधु जल संधि: 1960 में नेहरू-अयूब में समझौता
– जल विवाद पर एक सफल उदाहरण है। कराची में 19 सितंबर, 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों में दो युद्धों के बावजूद ये संधि कायम है। सिंधु का इलाका करीब 11.2 लाख किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। पाक में 47%, भारत (39%), चीन (8%) और अफगानिस्तान (6%) में है।

समझौता एक्सप्रेस: 1976 में अटारी-वाघा के बीच चली ट्रेन
– दोनों देशों में सौहार्द बढ़ाने के लिए 22 जुलाई 1976 को अटारी-लाहौर के बीच शुरू की गई थी। समझौता एक्सप्रेस अटारी-वाघा के बीच 3 किमी का रास्ता तय करती है। इस ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड चेंज नहीं होते। शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनों के ऊपर प्राथमिकता दी जाती है। फिलहाल ट्रेन बंद है।

मैत्री बस सेवा : करगिल युद्ध में भी बस बंद नहीं की
– 19 फरवरी 1999 को मैत्री बस की शुरुआत की गई। उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। वह पाकिस्तान भी गए थे। 1999 में जब करगिल हुआ, तो भी बस को बंद नहीं किया गया। हालांकि, 2001 में संसद पर हमले के इसे रद्द कर दिया गया। यह 2003 में फिर से चली। फिलहाल, बस सेवा है।

सीजफायर संधि : सीमा पर शांति के लिए बढ़ाए हाथ
– सीमा पर शांति के लिए दोनों देशों ने 2003 में युद्धविराम का ऐलान किया था। 25 नवंबर 2003 की आधी रात से युद्धविराम लागू हुआ था। अटल बिहारी वायपेयी की पहल के बाद एक औपचारिक युद्धविराम का ऐलान किया था। हालांकि, इसका उल्लंघन भी किया जा रहा है।

पाकिस्तान के वो 4 गुरुद्वारे जहां कण-कण में नानक
गुरुद्वारा ननकाना साहिब (लाहौर)
– लाहौर से करीब 80 किलोमीटर दूर गुरु नानक जी का जन्म स्थान है। पहले इसे राय भोए दी तलवंडी के नाम से जानते थे। नानक जी के जन्म स्थान से जुड़ा होने से अब यह ननकाना साहिब बन गया है। गुरुद्वारा ननकाना साहिब लगभग 18,750 एकड़ में है। ये जमीन तलवंडी गांव के एक मुस्लिम मुखिया राय बुलार भट्टी ने दी थी।

करतारपुर साहिब (नारोवाल)
– सिखों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। गुरु नानक 4 यात्राओं को पूरा करने के बाद यहीं बसे थे। यहां उन्होंने हल चलाकर खेती की। गुरु जी अपने जीवन काल के अंतिम 18 वर्ष यहीं रहे और यहीं अंतिम समाधि ली। यहीं गुरु जी ने रावी नदी के किनारे ‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’ का उपदेश दिया था। लंगर की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। यह नारोवाल जिले में है।

गुरुद्वारा पंजा साहिब (रावलपिंडी)
– रावलपिंडी से 48 किलोमीटर दूर है। बताते हैं कि एक बार गुरु जी अंतरध्यान में थे, तभी वली कंधारी ने पहाड़ के ऊपर से एक विशाल पत्थर को गुरु जी पर फेंका। जब पत्थर उनकी तरफ आ रहा था, तभी गुरु जी ने अपना पंजा उठाया और वह पत्थर वहीं हवा में ही रुक गया। इस कारण गुरुद्वारे का नाम ‘पंजा साहिब’ पड़ा। आज भी पंजे के निशान ज्यों के त्यों है।

गुरुद्वारा चोआ साहिब (पंजाब प्रांत)
– यहां श्री गुरु नानक देव जी ठहरे थे, यह जगह 72 साल बाद 550वें प्रकाश पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए खोली गई है। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद है। इस गुरुद्वारा साहिब को महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाने का काम शुरू किया था, जो 1834 में बनकर पूरा हुआ। 72 वर्ष बंद रहे इस गुरुद्वारे में बनी भित्ति चित्रकला लगभग लुप्त हो चुकी है।

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