करवा चौथ पर कैसे करें पूजन, जानिए विधि
आज करवा चौथ है। इस दिन विवाहित महिलाओं द्वारा रखे जाने वाले व्रत का एक खास विधान होता है। अगर इसे विधि के अनुसार न किया जाए तो इसका पूरा फल प्राप्त नहीं किया जा सकता। कार्तिक माह की चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए पत्नियों द्वारा किया जाता है। छांदोग्य उपनिषद में करवा चौथ के बारे में चर्चा है। करवा चौथ के दिन गणेश, शिव-पार्वती और चंद्रमा का खासतौर पर पूजन किया जाता है। इसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार करवा चौथ की शुरुआत देवपत्नियों ने की थी। ऐसी मान्यता है कि देवासुर संग्राम में देवताओं की पराजय दिखने लगी और राक्षस जीतने लगे तब ब्रह्माजी ने देवताओं की पत्नियों को व्रत रखने के लिए कहा। ब्रह्माजी की बात मानते हुए देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने व्रत रखा। उनके अलावा समस्त देवताओं की पत्नियों ने भी व्रत रखा। फलस्वरूप देवताओं की विजय हुई। करवा चौथ के व्रत में महिलाएं दिन भर निर्जला उपवास करती हैं। देर शाम को चंद्रमा के निकलने के बाद पहले पति का चेहरा देखती हैं। उसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
पूजन सामग्री – करवा चौथ पर पूजन के लिए आपको शिव-पार्वती और गणपति की फोटो, कच्चा दूध, कुमकुम, अगरबत्ती, शक्कर, शहद, पुष्प, शद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगा जल, चंदन, चावल, सिंदूर, महावर, कंघा, मेहंदी, चुनरी, बिंदी, बिछुआ, चूड़ी, मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन, दीपक और बाती के लिए रूई, गेंहू, शक्कर का बूरा, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छन्नी, आठ पूरियों की अठवारी, हलवा और दक्षिणा के लिए पैसे की जरूरत होगी।
पूजा विधि – करवा चौथ के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके लिए ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें। पूजास्थान पर गेरू से फलक बनाएं तथा चावल पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं। शाम को माता पार्वती और शिव की फोटो लकड़ी के तख्त पर रखें। ध्यान रहे, फोटो में गणेश भगवान पार्वती माता की गोद में बैठे हों। माता पार्वती का श्रृंगार करें फिर पूजन करें। चांद उगने के बाद उसे अर्घ्य दें। बाद में पति के हाथ से पानी पीकर या फिर निवाला खाकर अपना व्रत खोलें। कोरे करवा में जल भर लें और करवा चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें।