केरल में खौफनाक मंजर, लाशों को कब्र तक मयस्सर नहीं
एर्नाकुलम। केरल में बाढ़ अपना विकराल रूप धारण किये हुए है। बाढ़ की विभीषिका के चलते 7,24,649 लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। राज्य में जगह-जगह बाढ़ पीड़ितों के लिए 5,645 राहत शिविर बनाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी तक लगभग 370 लोग जान गंवा चुके हैं। अधिकतर शव अस्पतालों की मॉर्च्युरी में पड़े हुए हैं क्योंकि दफनाने या अंतिम संस्कार के लिए सूखी जमीन उपलब्ध नहीं है।
ऐसे समय में, दिल्ली के एक स्वतंत्र पादरी कुरुविला कुलंजीकोम्पिल सैमुएल ने थानामथिट्टा जिले के अडूर में स्थित अपनी जमीन का एक चौथाई हिस्सा सभी धर्मों के लोगों के अंतिम संस्कार के लिए दान कर दिया है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सैमुएल ने कहा कि वह ‘इंसानियत में विश्वास रखते हैं और यह (अंतिम संस्कार) हर समुदाय के लोगों के लिए मूल जरूरत है।’
अदूर समुद्र तल से अपनी ऊंचाई के चलते बाढ़ की चपेट में नहीं आया है। सैमुएल ने कहा कि उसकी जमीन और ऊपर है और वहां ‘कभी बाढ़ नहीं आती।’ एक सरकारी सूत्र ने कहा कि पानी घटने के बाद नदी किनारे अंतिम संस्कार किए जा सकते हैं, लेकिन दफनाने के लिए कब्रिस्तान ही चाहिए। अदूर के द मार थॉमा चर्च ने परंपरा तोड़ते अपने कंपाउंड में एक बाढ़ पीड़ित को दफनाने की इजाजत दी है। इसके लिए चर्च को कोट्टयम के चर्च से विशेष अनुमति लेनी पड़ी।
मार थॉमा यूथ सेंटर के जॉन मैथ्यू ने कहा, ”मैं ये जानता हूं कि विभिन्न अस्पतालों की मॉर्च्युरी में बहुत सारे शव पड़े हुए हैं। हम आशा करते हैं दो या तीन दिन में पानी घट जाएगा।” त्रिपुनिथुरा में हिंदुओं के लिए बने शवदाह गृह में पिछले कुछ दिनों से कोई शव नहीं आया है। यहां के कॉन्ट्रैक्टर ने कहा कि आस-पास का इलाका पानी में डूबने की वजह से यहां आने में परेशानी होगी।