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खतरे की घंटीः हार के साथ बीजेपी का वोट शेयर भी गिरा

नई दिल्ली। गुरुवार को आए उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए अच्छी खबर लेकर नहीं आये। भाजपा के रणनीतिकारों और पार्टी के दिग्गज नेताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि ऐसा भी हो सकता है। 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे बीजेपी की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी हैं। पार्टी को सबसे जोरदार झटका यूपी में लगा है, जहां उसे कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट गंवानी पड़ी है। कुछ वक्त पहले गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था। हालांकि, राजनीतिक जानकार यह मानते हैं कि बीजेपी के चेहरे पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्य रणनीतिकार अमित शाह की टेंशन महज इन सीटों पर मिली हार भर नहीं है। दरअसल, आंकड़े यह कहते हैं कि सीट गंवाने के अलावा बीजेपी का वोट शेयर भी गिरा है।

इसे सबसे बेहतर ढंग से साबित करते हैं कैराना लोकसभा उपचुनाव के आंकड़े। यहां 2014 में हुए आम चुनाव में पार्टी को 50.6% प्रतिशत वोट मिले थे। अगर पार्टी यह प्रदर्शन दोहरा पाती तो कोई उसके सामने टिक नहीं पाता। हालांकि, एकजुट विपक्ष ने गोरखपुर और फूलपुर की तरह यहां भी बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। बीजेपी को इस उप चुनाव में 46.5% प्रतिशत वोट ही मिले। वोट शेयर का गिरना सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है। महाराष्ट्र के पालघर और भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी का वोट शेयर क्रमश: 23 पर्सेंट और 9 पर्सेंट कम हुआ। हालांकि, यहां एक पेच यह है कि 2014 में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था, इसलिए दोनों का वोट शेयर जुड़ गया था। ऐसे में असल में बीजेपी का वोट प्रतिशत कितना कम हुआ, इस बात का सटीक अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है।

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10 विधानसभा सीटों पर वोट शेयर का आकलन करें तो पता चलता है कि अधिकतर मामलों में बीजेपी का वोट प्रतिशत कम हुआ है। हालांकि, पश्चिम बंगाल के महेशताला में ऐसा नहीं हुआ, जहां पार्टी ने सीपीएम को पीछे करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया। यही ट्रेंड हाल में हुए निकाय चुनाव में नजर आया था। बीजेपी के लिए थोड़ी राहत की खबर यूपी के नूरपुर से भी है। बीजेपी को भले ही यहां समाजवादी पार्टी से शिकस्त मिली हो, लेकिन उसका वोट शेयर पिछले साल विधानसभा चुनाव में मिले 39 पर्सेंट से बढ़कर 47.2% पर्सेंट हो गया है।

हालांकि, एकजुट विपक्ष की ताकत का सामना करने के लिए यह वोट शेयर भी नाकाफी रहा। बड़े राज्यों को छोड़ दें तो बीजेपी के लिए चिंता की खबर केरल के चेंगनुर से भी है। यहां पार्टी को 2016 विधानसभा चुनाव में 29.3 प्रतिशत वोट मिले थे। इस उप चुनाव में यह घटकर 23.2 प्रतिशत रह गया। कर्नाटक में हाल ही में सरकार गिरने की वजह से हुई शर्मिंदगी के बाद बीजेपी को एक और बुरी खबर मिली। बेंगलुरु की आरआर नगर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। यहां कांग्रेस का वोट शेयर भी बढ़ा है। जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन को ‘अनैतिक’ बताने वाली बीजेपी के लिए यह किसी झटके से कम नहीं। अब भाजपा में मंथन शुरू हो गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी की परफारमेंस को बेहतर कैसे किया जाये।

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