क्या आपने भी सुना है स्वर कोकिला की आवाज में ये पहाड़ी गीत
देहरादून। सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर, जिन्हें स्वर कोकिला भी कहा जाता है अपनी सुरीली आवाज के लिए विश्व विख्यात हैं। वाकई ये हमारी खुशनसीबी ही है कि हम उस युग में पैदा हुए जहां हमें लता जी जैसी महान गायिका के गीतों को सुनने का अवसर मिला। यूं तो लता जी ने हजारों गीतों को अपनी सुरीली आवाज में पिरोया है और कई भाषाओं के गीतों को गाया है, मगर क्या आप जानते हैं कि उन्होंने एक पहाड़ी गीत भी गाया है।
ये गीत अपने समय में काफी लोकप्रिय हुआ और आज भी कर्णप्रिय है। लता मंगेशकर जी द्वारा गाया गया ये पहाड़ी गीत ‘‘मन भरमैगे मेरे सुधबुध ख्वैगे…’’ आज भी कई मौकों पर बजाया जाता है। कई कार्यक्रमों के दौरान क्षेत्रिय कलाकार इस गीत पर नृत्य प्रस्तुति करते हुए भी देखे गये हैं।
लता जी द्वारा गाया गया ये एकमात्र पहाड़ी गीत है जो प्रत्येक उत्तराखण्डी को गर्व की अनुभूति कराता है। इस गीत को सुनते वक्त एक क्षण भी ऐसा नहीं लगता कि कोई ऐसा व्यक्ति इस गीत को गा रहा है जिसे उस भाषा का ज्ञान नहीं है। लता जी ने एक-एक शब्द को पूरी बारीकी और सच्चाई के साथ गाया है। सचमुच महान हैं लता जी।
जितना सुरीला ये गीत है, वाकई उतना ही सुन्दर इस गीत का फिल्मांकन भी है। इसके संगीत में पहाड़ का ऐसा चित्रण होता है कि इसे बार-बार सुनने का मन करता है। आप भी देखिए, सुनिए ये गीत और महसूस कीजिए पहाड़ी संगीत की खूबसूरती को।
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