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ससुराल पहुंचे भगवान शंकर, एक माह तक यहाँ करेंगे निवास

हरिद्वार। कनखल के राजा ब्रह्मा पुत्र दक्ष को दिया वचन निभाने के लिए भगवान शंकर कैलाश से अपनी ससुराल पहुंच गए हैं। श्रावण मास में अब एक महीने तक वे यहीं निवास करेंगे। छह अगस्त को शिवरात्रि की महारात्रि में चार प्रहर पूजा की जाएगी। शिव चौदस के दिन भी जलाभिषेक चलता रहेगा।

आषाढ़ पूर्णिमा में श्रावण प्रतिपदा का समावेश होते ही कनखल पहुंचने पर पूर्णिमा ने भगवान शंकर का स्वागत किया। श्रावण मास के पहले दिन आज रविवार है। भगवान आशुतोष का आगमन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में हुआ और श्रवण नक्षत्र में प्रतिपदा पूर्ण होगी।

जानकारों के अनुसार इस बार द्वितीय तिथि क्षय हो जाने के कारण सोमवार को तृतीया तिथि पड़ जाएगी। शिवालयों में प्रत्येक सोमवार को विशेष जलाभिषेक होगा। शिवरात्रि और शिव चौदस के मिलन पर भगवान शिव के मंदिरों में महारात्रि मनाई जाएगी। भगवान शिव श्रद्धा के देव हैं। उन्हीं की जटाओं से निकली गंगा से उनका अभिषेक सावन के पूरे महीने में किया जाता रहेगा।

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पौराणिक कथा के अनुसार दक्ष पुत्री सती और शिव का विवाह दक्ष की इच्छा के विपरीत हुआ था। बाद में दक्ष ने कनखल के पास बसाए यज्ञजीतपुर में विशाल यज्ञ किया पर पुत्री सती और जामाता शिव को नहीं बुलाया। सती जिद करते हुए बिन बुलाए चली आईं।

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सती यज्ञ में पति का अपमान देखकर अपमान की अग्नि पीते हुए यज्ञकुंड में भस्म हो गई। पता लगने पर शिव ने वीरभद्र को भेजकर यज्ञ का विध्वंस करा दिया। वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट डाला। बाद में देवताओं की प्रार्थना पर शिव ने आकर दक्ष के कटे धड़ पर बकरे का सिर जोड़ दिया।

पुनर्जीवन पाकर दक्ष ने शिव से वचन लिया कि प्रत्येक श्रावण मास में वे दक्षेश्वर बनकर कनखल में विराजमान होंगे। वही वचन निभाने श्रावण की पूर्व बेला में भगवान शिव अपनी ससुराल कनखल आते हैं।

शिव पुराण के अनुसार भगवान विष्णु शयन के समय महारुद्र शंकर ब्रह्मांड का संचालन एक महीने तक कनखल से ही करते हैं। रविवार से जलाभिषेक प्रारंभ हो जाएगा। कोरोना के कारण कांवड़ यात्रा तो इस साल भी रद्द हो गई पर देश के तमाम शिवालयों में स्थानीय स्तर पर जलाभिषेक होता रहेगा।

 

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