महिला पुलिसकर्मियों को यहां भर्ती से पहले गुजरना पड़ता है ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ से
इंडोनेशिया। खुद को पुलिस अफसर कहलाना हमेशा से ही बेहद मुश्किल काम रहा है। कहने की जरूरत नहीं है, लेकिन पुलिस में भर्ती होने से पहले आपको कई परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ता है। ये परीक्षाएं आपका शारीरिक ही नहीं मानसिकता का भी चरम तौर पर इम्तहान लेती हैं। लेकिन जब आप खुद को इस परीक्षा के लिए तैयार हो रहे होते हैं तब शायद आपको ये नहीं पता होता है कि आपको निर्वस्त्र होकर अपने लुक्स की भी परीक्षा देनी होगी।
जी हां, इंडोनेशिया में महिला पुलिस की भर्ती में शामिल होने के लिए आपको ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ से भी गुजरना पड़ता है। ये पुलिस सेवा को प्राप्त करने के लिए अघोषित शर्त मानी जाती है। इस टेस्ट को ‘टू फिंगर टेस्ट’ भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में एक महिला परीक्षक अभ्यर्थी के प्राइवेट पार्ट में अपनी दो अंगुलियां डालती है। इस प्रक्रिया के जरिए परीक्षक ये सुनिश्चित करती है कि उसके प्राइवेट पार्ट के भीतर मौजूद झिल्ली सुरक्षित है या नहीं। इससे ये पता चल जाता है कि महिला परीक्षार्थी का कौमार्य भंग हुआ है या नहीं।
इंडोनेशिया में महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती के लिए इस विचित्र शर्त का खुलासा ह्यूमन राइट्स वॉच के एंड्रियास हरसोनो की रिपोर्ट से हुआ है। हरसोनो ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है,” महिलाओं को परीक्षा कक्ष में 20 की संख्या में आमंत्रित किया जाता है। जहां उन्हें कपड़े उतारने के लिए कहा जाता है। इसके बाद महिलाएं सिर्फ अपने अंर्तवस्त्रों में ही रह जाती हैं। इसके बाद एक अन्य अपेक्षाकृत छोटे कमरे में उन्हें दो की संख्या में बुलाया जाता है। जहां पर महिलाएं अपने अंर्तवस्त्र उतारकर अस्पताल के बेड पर टांगें फैलाकर लेट जाती हैं। इसके बाद महिला परीक्षक उनके प्राइवेट पार्ट में दो अंगुलियां डालकर उनके कौमार्य की जांच करती है।” यही नहीं, महिला जिसे पुलिस अधिकारी की नौकरी के लिए चुना जाता है वह चुने जाने के बाद भी अपना कौमार्य भंग नहीं कर सकती है।
हालांकि, इंडोनेशियाई पुलिस का इस चरम प्रकिया पर भी अपना तर्क है। रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस मानती है कि इंडोनेशियाई लोग महिला पुलिस अधिकारी की सक्रिय सेक्स लाइफ को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। साफ तौर पर कहें तो वे सिर्फ ‘अच्छी लड़कियों’ को ही बतौर पुलिस अधिकारी के तौर पर चाहते हैं। चौंकाने वाली बात ये भी है कि ये किसी अभ्यर्थी को जांचने का ये अमानवीय तरीका दशकों से भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा है। हालांकि ये तरीका पुलिस के किसी भी नियम या नियमावली में नहीं लिखा हुआ है। लेकिन इसके बाद भी ये तरीका देश में पुलिस भर्ती के लिए प्रचलित है। सिर्फ यही नहीं, कई वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी भी इसे महत्वपूर्ण मानती हैं और चाहती हैं कि ये जारी रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, 27 वर्षीय महिला पुलिसकर्मी अनिशा ने कहा, “ये टेस्ट बताता है कि महिला खुद के साथ ही दूसरों की सुरक्षा करने में भी सक्षम है।”