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मैं प्रधानमंत्री आवास के बाहर बैठकर ऑनलाइन एनडीटीवी देखूंगा: पूनावाला

क्या हो गया मोदी सरकार को। सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो गयी है मोदी सरकार की। घोषणायें करते जाओ, मीडिया पर बैन लगा दो और वन-रैंक पेंसिन पर पूर्व सैनिकों को ठगो। क्या यही विकास है, क्या यही डिजिटल इंडिया है कि मीडिया को समाप्त कर दो और लोगों पर तानाशाही करो। वाह मोदी जी, वाह। केन्द्र सरकार की सोचने की क्षमता समाप्त हो गयी है। इस बात की पुष्टि एनडीटीवी पर लगे बैन से स्पष्ट होती है। सभी को अवगत है कि हमारे देश में लोकतंत्र स्थापित है, जो कि चार स्तंभों पर खड़ा है। उन्हीं चार स्तंभों में से मीडिया एक है। जाहिर सी बात है कि उन चार स्तंभों में से एक स्तंभ भी हट जाता है, हटा दिया जाता है या खत्म हो जाता है तो कहने में कोई गलत नहीं है कि लोकतंत्र नीचे गिर जायेगा। अर्थात लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा।

सरकार अपनी शक्ति का दुरूपयोग कर रही है। कहने का तात्पर्य है कि सरकार का यह कदम बेहद ही निंदनीय है, जिसकी आलोचना करना सही है। सरकार के इस फैसले का विरोध करना बिल्कुल सही होगा। क्योंकि एनडीटीवी पर बैन लगना, पत्रकारिता को समाप्त करना है। सभी को पता है कि समाचार सबसे ज्यादा सोशल मीडिया में वायरल होते हैं, तो क्या सरकार सोशल मीडिया को भी बंद करवा देगी। मीडिया को बैन करना या मीडिया को बंद करना, इससे स्पष्ट होता है कि यदि आने वाले समय में मीडिया न होगा तो आम जन को कैसे पता चलेगा कि सरकार क्या कर रही है। यूं भी कहा जा सकता है कि मीडिया के न होने से सरकार अपने मंत्रियों द्वारा किये गये घोटालों को छुपाने में भी सफल हो जाएगी। मीडिया को चुप करना अर्थात लोकतंत्र की समाप्ति करना, एक समान है। क्या सरकार भारत के लोकतंत्र को खत्म करके तानाशाही करने का फैसला कर चुकी है।

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एनडीटीवी को एक दिन के लिए आफ एयर करने का आदेश दिया है। भारत सरकार के समाचार चैनल एनडीटीवी को एक दिन के लिए ऑफ एयर करने की सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। सरकार ने पठानकोट हमलों की कवरेज के दौरान संवेदनशील जानकारियां देने के आरोप में ये प्रतिबंध लगाया है। कई पत्रकारों ने इस पर अपना विरोध जताया है।

पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा, ‘‘भारत के सबसे संयमित और जिम्मेदार चैनलों में से एक एनडीटीवी इंडिया को प्रसारण मंत्रालय एक दिन के लिए बंद कर रहा है। आज एनडीटीवी है, कल कौन होगा?’’

सगारिका घोष ने ट्वीट किया, ‘‘एनडीटीवी को प्रतिबंधित करना स्वतंत्र मीडिया पर सरकार का चौंकाने वाला शक्ति प्रदर्शन है। मीडिया की हत्या मत करो।’’

पत्रकार सिद्धार्थ वर्दराजन ने ट्वीट किया, ‘‘एनडीटीवी पर सरकार का एक दिन का प्रतिबंध सरकार की मनमानी और ताकत का दुर्भावनापूर्ण उपयोग है। एनडीटीवी को इसे अदालत में चुनौती देनी चाहिए।’’

कांग्रेस से जुड़े तहसीन पूनावाला ने लिखा, ‘‘अगर एनडीटीवी ऑफ एयर हुआ तो मैं प्रधानमंत्री आवास के बाहर बैठकर ऑनलाइन एनडीटीवी देखूंगा।’’

वहीं कुछ लोगों ने इसे अघोषित आपातकाल तक कहा है।

सुख संधू ने लिखा, ‘‘बीजेपी सरकार ने मीडिया चैनलों को सलाह दी है, धमकियां दी हैं और अब प्रतिबंध भी लगा दिया है। भारत में आपातकाल जैसे हालात हैं।’’

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डॉ. मुग्धा सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘एनडीटीवी को एक दिन के लिए ऑफ एयर होना पड़ेगा, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ शक्तिहीन हो गया है। हिटलरशाही लौट रही है, इस बार मोदी सरकार के नाम से।’’

रचित सेठ लिखते हैं, ‘‘सरकार पठानकोट पर जाँच के लिए आईएसआई को खुशी-खुशी बुला सकती है, लेकिन अगर एनडीटीवी इंडिया या कोई और चौनल इस बारे में खघ्बर दिखाता है तो उन्हें इससे समस्या है।’’

अपरा वैद्य ने ट्वीट किया, ‘‘अभी सरकार को तीन साल भी नहीं हुए हैं और हम आपातकाल के काले दौर में पहुँच गए हैं।’’
इकराम वारसी ने ट्वीट किया, ‘‘एनडीटीवी अघोषित आपातकाल का सामना कर रहा है।’’

एनडीटीवी पर अपनी कवरेज में पठानकोट हमले के दौरान संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप हैं।

जग्दीश्वर चतुर्वेदी ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘सवाल यह है पठानकोट की घटना पर एनडीटीवी के अलावा दूसरे टीवी चौनलों की रिपोर्टिंग क्या सही थी? मोदी सरकार पारदर्शिता का प्रदर्शन करे और बताए कि एनडीटीवी के कवरेज में किस दिन और समय के कार्यक्रम को आधार बनाकर और किन मानकों के आधार पर फैसला लिया गया और एनडीटीवी से उसका पक्ष जानने की कोशिश की गयी या नहीं?’’

गिरीश मालवीय ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘यह आपातकाल की आहट है, इसे अनसुना करना बेहद खतरनाक है, आज एनडीटीवी पर एक दिन का प्रतिबंध लगाया गया है कल किसी और पेपर को बंद कर देंगे परसों कहेंगे कि इंटरनेट से ही सूचनाए फैलती है उसे ही बंद कर दो।’’

बताये मोदी सरकार कि आखिर क्या फोकस है उनका। मोदी जी यह भी भूल गये कि उनकी देश-विदेश की सैर, उनके नये-नये कपड़ों के डिजाईन भी जनता के सामने मीडिया ने ही पहुंचाये। मोदी जी की स्पीच और उनके कोरी घोषणायें भी मीडिया ने ही सार्वजनिक की। क्या हो गया मोदी सरकार को। क्या मीडिया को चुप करवाके आयेंगे अच्छे दिन, क्या लोकतंत्र के स्तंभ पर बैन लगाकर अच्छे दिन आएंगे।

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