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मकर संक्रांति: जानें इससे जुड़ी मान्यताएं, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। हिंदुओं की आस्था से जुड़े इस त्योहार में दान पुण्य का बहुत अधिक महत्व है। साथ ही इस दिन स्नान जैसे विशेष कार्यों का भी खास महत्व है। इस दिन लोग अपने घरों में ना केवल काली दाल की खिचड़ी बनाते हैं बल्कि उसे दान भी करते हैं। खिचड़ी बनाने और दान पुण्य करने की वजह से कई जगहों पर मकर संक्रांति के त्योहार को लोग खिचड़ी का त्योहार भी कहते हैं। जानिए मकर संक्रांति के त्योहार से जुड़ी मान्यता, शुभ मुहूर्त, इस दिन क्या करें और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त

पुण्य काल सुबह- 8 बजकर 3 मिनट 7 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट तक
महापुण्य काल सुबह- 8 बजकर 3 मिनट 7 सेकेंड से 8 बजकर 27 मिनट 7 सेकेंड तक

 

जानें मकर संक्रांति के दिन क्या करें

  • इस दिन सूर्य निकलने से पहले स्नान करें
  • इसके बाद एक कलश में लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दें
  • अर्घ्य देते हुए सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें
  • श्रीमदभागवद या फिर गीता का पाठ करें
  • तिल, अन्न, कंबल के अलावा घी का दान करें
  • खाने में खिचड़ी बनाएं
  • खिचड़ी को भगवान को जरूर भोग लगाएं
  • शाम को अन्न का सेवन करें
  • अगर आप इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन के अलावा तिल का दान करेंगे तो शनि से जुड़ी हर तकलीफ से मुक्ति मिलेगी

मकर संक्रांति पौराणिक कथा
हिंदू पुराणों में अंकित कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र भगवान शनि के पास जाते हैं। उस वक्त भगवान शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। भगवान शनि, मकर राशि के देवता है। इसी कारण इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस खास दिन पर अगर कोई पिता अपने बेटे से मिलने जाता है तो उसके सारे दुख और तकलीफ दूर हो जाते हैं।

मकर संक्रांति से जुड़ी अन्य पौराणिक कथा
मकर संक्रांति से जुड़ी एक और पौराणिक कथा है जिसका वर्णन महाभारत में किया गया है। ये कथा भीष्म पितामह से जुड़ी हुई है। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। जब युद्ध में उन्हें बाण लग जाता है और वो सैय्या पर लेटे हुए थे तो वो प्राण को त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण में होने का इंतजार कर रहे थे। ऐसी मान्यता है कि उत्तरायण में प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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