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मैट्रो का अधिग्रहण कर सकती है केजरीवाल सरकार
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो किराया बढ़ोतरी के मामले में कहा है कि दिल्ली सरकार मेट्रो को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए इसका अधिग्रहण करने के लिए तैयार है। साथ ही कहा कि परिचालन घाटे का आधा हिस्सा भी आप नीत सरकार तीन महीने तक चुकाने के लिए तैयार है। केजरीवाल ने केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी को रविवार को लिखे पत्र में कहा है कि दिल्ली सरकार मेट्रो के परिचालन घाटे का आधा हिस्सा चुकाने को तैयार है बशर्ते मेट्रो रेल के किराये में इजाफे को रोकने के लिये घाटे के आधे हिस्से की भरपायी केन्द्र सरकार भी करे।
केजरीवाल ने कहा, ‘‘अगर केंद्र सरकार राजी होती है तो दिल्ली सरकार डीएमआरसी का अधिग्रहण करने को इच्छुक है।’’ पुरी ने केजरीवाल को गत शुक्रवार को लिखे पत्र में कहा था कि मेट्रो को सालाना 3000 करोड़ रुपये का परिचालन घाटा होता है। दिल्ली सरकार अगर इसकी भरपायी करती है तो किराये में प्रस्तावित बढ़ोतरी को रोका जा सकता है। इसके जवाब में केजरीवाल ने पुरी से दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) में दिल्ली सरकार की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी का हवाला देते हुये घाटे का आधा हिस्सा चुकाने की सहमति दे दी है।
केजरीवाल ने किराया बढ़ोतरी को गैरजरूरी बताने वाली उनकी दलीलों को पुरी द्वारा गलत बताये जाने से असहमति जताते हुये कहा कि मेट्रो की किराया निर्धारण समिति ने पिछले छह महीने में 82 से 114 प्रतिशत तक किराये में वृद्धि का प्रस्ताव किया है। इससे यात्रियों पर गैरजरूरी बोझ बढ़ने की दलील देते हुये उन्होंने कहा कि मेट्रो के बढ़ते घाटे से निःसंदेह गुणवत्ता पर असर पड़ेगा लेकिन घाटे की भरपायी में केन्द्र और दिल्ली सरकार को मिलकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि समिति की सिफारिश के आधार पर डीएमआरसी ने दस अक्टूबर से प्रस्तावित किराया बढ़ोतरी को लागू करने का फैसला किया है। केजरीवाल सरकार इसे रोकने के लिये केन्द्र सरकार पर लगातार दबाब बना रही है। केजरीवाल ने समिति के फैसले को बाध्यकारी बताने की पुरी की दलील को भी गलत बताया है। उन्होंने कहा कि अगर समिति आठ महीने तक किराये में इजाफे के प्रस्ताव को निलंबित रख सकती है तो दिल्ली वालों के हित में दिल्ली सरकार के अनुरोध पर इस मामले का सर्वमान्य हल निकलने तक इसे कुछ महीनों तक और टालने में मेट्रो प्रबंधन को क्या परेशानी है। उन्होंने कहा कि समिति के फैसले को रोकने में कानूनी बाध्यताओं की भी पुरी की दलील मानने योग्य नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो समिति को सर्वाधिकार सम्पन्न बनाता हो।
इस बीच डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह ने रविवार देर शाम मुख्यमंत्री आवास पर केजरीवाल से मुलाकात की। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बंद कमरे में हुयी इस बैठक का ब्योरा देने से इंकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल ने सिंह से प्रस्तावित किराया बढ़ोतरी को रोकने के लिये दिल्ली सरकार द्वारा अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटने की दो टूक बात कह दी है। दिल्ली सरकार की दलील है कि डीएमआरसी द्वारा 5 से 21 किमी की यात्रा श्रेणी में 100 प्रतिशत इजाफा किये जाने से मेट्रो के यात्रियों की संख्या कम होगी। क्योंकि इस श्रेणी में सर्वाधिक यात्री सफर करते हैं और शतप्रतिशत किराया बढ़ने से यात्री मजबूरी में मेट्रो की बजाय शेयरिंग कैब का इस्तेमाल करेंगे। इसका सीधा लाभ ओला उबर जैसी निजी कैब कंपनियों को होगा, साथ ही डीएमआरसी का घाटा बढ़ना तय है।