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मसूरी में आयोजित हिमालयन कॉन्क्लेव में पहुंचे केंद्रीय वित्त मंत्री सहित कई मुख्यमंत्री

देहरादून। उत्तराखंड के मसूरी में हिमालय कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। विकास के मामले में एक जैसी समस्याओं का सामना कर रहे देश के 11 हिमालयी राज्य पहली बार आज मसूरी में विभिन्न मुद्दों पर मंथन करने के लिए जुटे हैं। राज्यों के बीच इस मंथन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ ही नीति आयोग और वित्त आयोग के भी सदस्य शामिल हुए हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कॉन्क्लेव का शुभारंभ किया। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को स्मृति चिह्न भेंट किया।

हिमालयी राज्यों के कॉन्क्लेव में शामिल होने के लिए 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सहमति जाहिर की थी। इनमें से अधिकतर राज्यों के मुख्यमंत्री पहुंच भी चुके हैं। जो नहीं पहुंच पा रहे हैं उनकी ओर से किसी न किसी तरह से प्रतिनिधित्व तय कर दिया गया है। कॉन्क्लेव में पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, ग्रीन बोनस जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई और एक कॉमन एजेंडा तय किया जाएगा।

उत्तराखंड के लिए ग्रीन अकाउंटिंग तैयार करने वाली मधु वर्मा कॉन्क्लेव में हिमालयी राज्यों की ग्रीन बोनस की मांग पर एक तस्वीर भी सामने रखेंगी। प्रदेश सरकार की ओर से तैयार किये गए आधार पत्र में जलवायु परिवर्तन से निपटने, सभी राज्यों के लिए एक आपदा प्रबंधन तंत्र तैयार करने, ग्रीन बोनस जैसे मुद्दों को उठाया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री, नीति आयोग और वित्त आयोग की उपस्थिति का भी राज्य को लाभ मिलेगा।

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, मेघालय के मुख्यमंत्री केसी संगमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री चौना मेन, मिजोरम के मंत्री टीजे लालनुंत्लुआंगाए, त्रिपुरा के मंत्री मनोज कांति देव, सिक्क्मि के मुख्यमंत्री के सलाहकार डा. महेंद्र पी लामा, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार केके शर्मा, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा. राजीव कुमार, जल एवं स्वच्छता के केंद्रीय सचिव परमेश्वर अय्यर, सदस्य एनडीएमए कमल किशोर, भारतीय वन प्रबंधन संस्थान की मधु वर्मा आदि।

वहीं  उत्तराखंड केे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सम्मेलन में इस पर भी मंथन किया जाएगा कि हिमालयी राज्य किस प्रकार से जल संरक्षण में केंद्र का सहयोग कर सकते हैं। देश की अधिकतर नदियों का स्रोत हिमालय ही है। प्रधानमंत्री के जल संचय अभियान में इस तरह से हिमालयी राज्यों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हैं। सभी राज्य देश में पहली बार हो रहे इस तरह के सम्मेलन में एक साझा विकास के फ्रेमवर्क पर भी मंथन करेंगे।

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