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मुख्यमंत्री ने जावलकर और ज्योति को हटाया, दो सस्पेंड

देहरादून। पौड़ी जिले में भौन-धुमाकोट मार्ग पर रविवार को हुई बस दुर्घटना के 36 घंटे बाद शासन ने गढ़वाल मंडल आयुक्त दिलीप जावलकर और पुलिस उप महानिरीक्षक पुष्पक ज्योति को हटा दिया है। साथ ही हादसे को गंभीरता से लेते हुए संभागीय परिवहन विभाग रामनगर के प्रवर्तन अधिकारी और धुमाकोट के थानाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। हालांकि, मंडलायुक्त व डीआइजी को हटाने का कोई आधिकारिक कारण सरकार की तरफ से नहीं बताया गया है। लेकिन, सरकार के इस कदम को बस हादसे से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दुर्घटना के बाद त्वरित रेस्क्यू में लापरवाही पर हैरीटेज एविएशन के खिलाफ सख्त कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं। इस मामले में जल्द ही कुछ और अधिकारियों पर कार्रवाई के भी संकेत मिले हैं। इधर, प्रकरण की मजिस्ट्रेटी जांच शुरू कर दी गई है। लैंसडौन के उप जिलाधिकारी कमलेश मेहता ने सोमवार दोपहर घटना स्थल पहुंचकर साक्ष्य जुटाए।

रविवार को भौन-धुमाकोट मार्ग पर बस दुर्घटना हुई थी। इसमें 48 लोगों की मौत हुई है और 12 लोग घायल हुए हैं। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने ट्वीट कर दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया था। मुख्यमंत्री स्वयं मौका मुआयना करने गए थे। सोमवार को वापस लौटने पर मुख्यमंत्री ने इस मामले में सख्त तेवर दिखाए। मंडलायुक्त दिलीप जावलकर को हटा कर उनकी जगह हाल ही में अमेरिका से स्टडी लीव पूरी कर वापस लौटे शैलेश बगोली को लाया गया है। वहीं डीआइजी गढ़वाल पुष्पक ज्योति को हटा कर राजीव रौतेला को यह जिम्मा सौंपा गया है।

मामले में प्रथम दृष्टया लापरवाही बरतने पर थानाध्यक्ष धुमाकोट लक्ष्मण सिंह कठैत और क्षेत्रीय प्रवर्तन अधिकारी नेहा झा को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्घटना में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने नागरिक उड्डयन विभाग को भी हेली सेवा प्रदान करने में लापरवाही बरतने पर संबंधित कंपनी के खिलाफ भी कार्रवाई करने निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग को राज्य की सड़कों की मरम्मत के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बरसात व मानसून के मद्देनजर पर्वतीय क्षेत्रों में हर तीन किमी पर एक जेसीबी मशीन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। अगले दो दिनों भारी वर्षा की आशंका को देखते हुए शासन व प्रशासन के अधिकारी स्थिति पर नजर रखें।

वहीं, मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद एसडीएम लैंसडौन कमलेश मेहता ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच शुरू कर दी है। उन्होंने दुर्घटना स्थल का मौका मुआयना भी किया। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला ओवरलोडिंग लगता है। पीडब्लूडी व आरटीओ से तकनीकी रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद ही असली कारण सामने आएंगे। उधर, बस दुर्घटना मामले में अभी और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि जिला प्रशासन व विभागीय अधिकारियों के भी जल्द तबादले हो सकते हैं।

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