नागरिकता संशोधन विधेयक पर असम और गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन
गुवाहाटी। लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने को लेकर विरोध प्रदर्शन होने शुरू हो गये हैं। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसु) ने मंगलवार को गुवाहाटी में 11 घंटे का बंद बुलाया। इसकी वजह सोमवार रात लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का पास होना है। छात्र संगठन के विरोध के समर्थन में बाजार बंद रहे, जबकि डिब्रूगढ़ और जोरहाट में प्रदर्शन के दौरान आगजनी भी हुई। आसु के आह्वान परसुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक बाजार बंद रखे जाने की बात कही गई।
क्षेत्रों में शुरू हुए विरोध के कारण असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई। दरअसल, नार्थ ईस्ट राज्यों में रहने वाले लोगों को अपनी पहचान खोने का डर सता रहा है। क्षेत्र के कई संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर बिल का विरोध शुरू किया। हालांकि, नगालैंड इस विरोध में शामिल नहीं हुआ। इसका कारण वहां जारी हॉर्नबिल फेस्टिवल है।
16 लेफ्ट संगठनों ने असम में 12 घंटे बंद का आह्वान किया है। इनमें एसएफआई, डीवायएफआई, एआईडीडब्ल्यूए, एआईएसएफ, एआईएसए और आईपीटीए जैसे संगठन शामिल हैं।
गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी ने राज्य में आज होने वाली समस्त परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं।
नागरिकता संशोधन बिल 2019 गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता का मौका प्रदान करता है। इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में किसी तरह की धार्मिक बाध्यता का सामना करने वाले लोग आवेदन दे सकते हैं। भारत में पांच साल रहने के बाद उन लोगों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी। वर्तमान नियमों के अनुसार 11 साल बाद यह नागरिकता दी जा रही थी।
सोमवार रात 12.04 बजे लोकसभा में हुई वोटिंग में बिल के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े। बिल पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई। विपक्षी दलों ने इस बिल को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया। गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा कि यह बिल यातनाओं से मुक्ति का दस्तावेज है। भारतीय मुस्लिमों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह बिल केवल 3 देशों से प्रताड़ित होकर भारत आए अल्पसंख्यकों के लिए है। इन देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, क्योंकि वहां का राष्ट्रीय धर्म ही इस्लाम है।
वहीं, कांग्रेस समेत 11 विपक्षी दलों ने बिल को धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाला बताया। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल की कॉपी भी फाड़ दी। हालांकि, इसे सदन की कार्यवाही से बाहर निकाल दिया गया।