नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून के सहसपुर में 10 साल की बच्ची से हुए दुष्कर्म और हत्या के दोषी जयप्रकाश की फांसी की सजा पर मुहर लगा दी। बता दें कि अगस्त माह में विशेष पोक्सो जज रमा पांडेय की अदालत ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई थी।
इसी मामले में मंगलवार को दोषी की सजा पर न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक सिंह व न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ ने सुनवाई की। निचली कोर्ट से सजा सुनाने के बाद फांसी कंर्फम करने के लिए याचिका हाईकोर्ट भेजी गई थी। अभियोजन के मुताबिक पोक्सो कोर्ट में अब तक का यह पहला मामला था, जिसमें न्यायालय ने 68 पन्नों में फैसला लिखा गया था।
यह था पूरा मामला
देहरादून के सभावाला में इंजीनियरिंग कॉलेज के पास रहने वाले परिवार की 10 साल की बेटी अचानक गायब हो गई। परिजनों ने आसपास के बच्चों से पूछा तो पता चला कि एक व्यक्ति ने उसे 10 रुपये का लालच देकर अपने झोंपड़ीनुमा कमरे में बुलाया था।
परिजनों ने वहां देखा तो बच्ची नहीं मिली। इस पर उन्होंने पुलिस को सूचना दी तो पुलिस ने कमरे की छानबीन शुरू की। कुछ देर बाद कमरे में ही कुछ बोरों और मिट्टी व ईंट के टुकड़ों के नीचे से बच्ची का शव बरामद हो गया। पुलिस ने तत्काल आरोपी जयप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया था।
इन धाराओं में हुई सजा
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012(पोक्सो) की धारा-6 : आजीवन कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना। इसमें से 10 हजार मृतका के परिवार को दिए जाएंगे। जुर्माना न देने पर दो साल का अतिरिक्त कठोर कारावास।
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 : फांसी की सजा व 30 हजार रुपये जुर्माना। 15 हजार रुपये पीड़िता के परिजनों को दिए जाएंगे। जुर्माना न देने पर दो साल का कठोर कारावास।
भारतीय दंड संहिता की धारा 201 : पांच साल का कठोर कारावास व पांच हजार रुपये जुर्माना। जुर्माना अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास।