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नसीरुद्दीन समेत 180 सेलेब्स, बोले- हमारी आवाज दबा नहीं सकते

मुंबई। करीब तीन महीने पहले निर्देशक श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, मणि रत्नम, सिंगर शुभा मुद्गल और एक्ट्रेस अपर्णा सेन समेत 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर की थी। इसके बाद 3 अक्टूबर बिहार की एक अदालत के आदेश पर इन सभी हस्तियों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया। अब उन 49 हस्तियों को अभिनेता नसीरूदीन शाह और इतिहासकार रोमिला थापर समेत 180 से ज्यादा अन्य हस्तियों का समर्थन मिला है। सोमवार को इन हस्तियों ने एक नया पत्र जारी करते हुए कहा है कि उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता।

180 हस्तियों में नसीरुद्दीन शाह और रोमिला थापर के अलावा लेखिका नयनतारा सहगल, डांसर मल्लिका साराभाई और गायक टीएम कृष्णा का नाम भी शामिल है। उन्होंने पत्र में लिखा है, “हमारे सास्कृतिक समुदाय के 49 सहयोगियों के खिलाफ इसलिए एफआईआर की गई, क्योंकि उन्होंने समाज के सम्मानित सदस्यों के रूप में हमारे देश में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर कर अपना फर्ज निभाया था।” इसके साथ ही यह सवाल भी उठाया गया कि क्या नागरिकों की आवाज दबाने के लिए अदालतों की दुरुपयोग किया जाना शोषण नहीं?

पत्र में हस्तियों ने खुद को भारतीय सांस्कृतिक समुदाय का सदस्य बताते हुए कहा है कि वे 49 हस्तियों के उत्पीड़न की निंदा करते हैं। साथ ही मॉब लिंचिंग को लेकर जो पत्र पीएम को लिखा गया था, वे उसके एक-एक शब्द का समर्थन करते हैं। इन हस्तियों ने पुराना पत्र शेयर कर सांस्कृतिक, शैक्षणिक और कानूनी समुदायों से अपील की है कि वे भी उनका साथ दें। हस्तियों के मुताबिक, वे मॉब लिंचिंग के खिलाफ, नागरिकों की आवाज दबाने और उनके उत्पीड़न के खिलाफ, अदालतों के दुरुपयोग के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे।

कला, साहित्य और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी 49 हस्तियों ने 23 जुलाई को मोदी के नाम खुला पत्र लिखा था। इसमें मुस्लिम, दलित और अन्य समुदायों के खिलाफ भीड़ द्वारा की जा हिंसा (मॉब लिंचिंग) पर रोक लगाने की मांग की गई थी। पत्र में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा गया था, “मई 2014 के बाद से जबसे आपकी सरकार सत्ता में आई, तब से अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ हमले के 90% मामले दर्ज हुए। आप संसद में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा कर देते हैं, जो पर्याप्त नहीं है। सवाल यह है कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई?” हालांकि सरकार ने चिट्ठी में लगाए आरोपों को खारिज किया था।

49 हस्तियों के पत्र के जवाब में कंगना रनोट, प्रसून जोशी, समेत 62 हस्तियों ने खुला खत लिखा था। उनका कहना था कि कुछ लोग चुनिंदा तरीके से सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हैं। इसका मकसद सिर्फ लोकतांत्रिक मूल्यों को बदनाम करना है। उन्होंने पूछा कि जब नक्सली वंचितों को निशाना बनाते हैं तब वे क्यों चुप रहते हैं?

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