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प्रकृति हमें समय-समय पर चेतावनी देती है, मगर हम फिर भी नहीं समझ पाते

देहरादून। समय-समय पर प्रकृति हमे चेतावनी देती रहती है, फिर भी हम लोग नही समझ पाते। आज से 20 या 25 साल पहले का दून और उसके आसपास के शहर जैसे ऋषिकेश और हरिद्वार बहुत साफ सुथरे और हरे भरे रहते थे और खेत खलियान, पेड़ पौधे, नदिया नालियां और गाड़ियों का बोझ भी कम था सड़कों पर। वो समय याद आता है तो बहुत अच्छा लगता है। खेतों में खेती होती थी। यहां तक कि देहरादून की बासमती भी देश विदेश में बहुत प्रसिद्ध थी पर आज न कही खेत दिखते है, न कही नहरें और जंगल भी कम होते जा रहे हैं।

आज माहौल बदल गया है जहां नहर थी, खेत थे और पेड़ थे वहां आज कंक्रीट के जंगल बस चुके हैं। देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार में मिल गया है, तो प्रकृति तो समय-समय पर अपना रौद्र रूप दिखाती ही है। कल रात की ही बात है बारिश, बिजली गिरना हर की पौड़ी में विनाश के सारे सबूत छोड़ गया है। आज देखिए हर जगह बाढ़, भूस्खलन, कही सूखा तो कही भारी बारिश, देश के हर हिस्से में प्रकृति ने विनाश लीला दिखाई और दिखाना शुरू कर दिया है।

भारत ही नही सारे विश्व में तबाही के मंजर दिखाई दे रहे है और ये सिर्फ और सिर्फ इंसानों द्वारा अंधादुन्ध विकाश का ही परिमाण ही है। इंसान विकाश के नाम पर जो विनाश कर रहा है उसके परिणाम सभी के सामने है, विकास भी बहुत जरूरी है पर इतना भी नही की लोगो की जान पे बन आये। कम से कम नदी, नालों को छोड़ दीजिए जहा देखा वही लोगो ने आशियाना बना दिया यही विनाश का कारण भी है। पर शुक्र है कि कल किसी जान माल का नुकसान नही हुआ। अभी भी वक़्त है सरकार को कम से कम इस बात का तो ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा कोई काम न हो शहरों की सुंदरता और स्वच्छता और हरियाली का खास ध्यान रखना चाहिए।

रिपोर्ट: सुमन काला
रिपोर्ट: सुमन काला (सामजिक कार्यकर्ता एवँ फ्रीलांसर)

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