कभी ना छोड़े लक्ष्य का साथ, हौसला बदल सकता है हवा का रुख
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार निंदा करने वालों पर आधारित है।
‘निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को ना छोड़ें क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।’ आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि कभी भी किसी को भी दूसरों की बातें सुनकर अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए। हो सकता है कि जब आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ें तो आपको ताने कसने वालों की कमी ना हो। लोग आपको भला बुरा भी कहें। लेकिन आप कभी भी अपने लक्ष्य को ना छोड़ें।
असल जिंदगी में जब भी आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ें तो आपका सामना कई लोगों से होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमेशा ऐसा नहीं है कि लोग आपको आगे बढ़ता देख बर्दाश्त कर सकें। लोगों की आंखों में अक्सर लोग तब चुभने लगते हैं जब वो अपना लक्ष्य पाने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। वो ना केवल कोशिश करते हैं बल्कि उसे साकार करने के लिए जमीनी हकीकत पर भी काम करते हैं। ऐसा करते वक्त उन्हें लोगों को खरी-खोटी बातों को सुनना भी पड़ता है।
हो सकता है कि कुछ लोग आपसे ये कहें कि आपका लक्ष्य का चुनाव ही ठीक नहीं है। गलत कदम उठाया है, गलत रास्ता अपनाया है या फिर आपकी मेहनत में ही कमी है। लेकिन जब भी आपसे लोग ऐसा कहें तो उनकी बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दें। अगर आपने थोड़ा भी उनकी बात पर ध्यान दिया तो आपका मनोबल और विश्वास दोनों ही डगमगा सकता है। इसी वजह से कोई कुछ भी क्यों ना कहें अपने लक्ष्य पर और खुद पर भरोसा बनाए रखें। ऐसा करके ही आप अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। जब आप अपने लक्ष्य को पा लेंगे तो यही लोग आपकी तारीफ करेंगे। यहां तक कि आपके प्रति उनकी राय भी बदल जाएगी। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को ना छोड़ें क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।