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निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि पर सरकार ने पीछे हटाये कदम

देहरादून। निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि को लेकर उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार ने दबाव में आकर अपने कदम पीछे हटा लिये। इस वजह से आखिरकार निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने के अपने फैसले पर रोलबैक करना पड़ा। छात्रों व अभिभावकों में उपजे आक्रोश के बाद सरकार ने भी अपना रुख बदलते हुए निजी मेडिकल कॉलेजों को इस संबंध में निर्देश दिए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में किसी को भी मनमानी नहीं करने दी जाएगी। ऐसा करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

उधर, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज ने वर्ष 2016-17 और 2017-18 में एमबीबीएस और पीजी पाठ्यक्रमों के लिए बढ़ाया गया शुल्क वापस ले लिया। इस संबंध में कॉलेज प्राचार्य की ओर से लिखित नोटिस जारी किया गया है। हालांकि, कॉलेज में छात्रों व अभिभावकों का आंदोलन जारी है। कॉलेज प्राचार्य की ओर से निकले नोटिस को लेकर आंदोलनकारी छात्रों व अभिभावकों में संशय है। उनका कहना है कि प्राचार्य छुट्टी पर हैं, लिहाजा उनकी ओर से जारी आदेश पर भरोसा न करते हुए वे आंदोलन जारी रखे हुए हैं।

राज्य सरकार ने उत्तराखंड अनानुदानित निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं (प्रवेश तथा शुल्क निर्धारण विनियम) अधिनियम, 2006 में संशोधन किया है। इस संबंध में गैरसैंण विधानसभा सत्र में इस अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित किया गया। इसके बाद निजी विश्वविद्यालय बन चुके निजी मेडिकल कॉलेजों एसजीआरआर, सुभारती और हिमालयन विश्वविद्यालय के फीस नियंत्रण पर प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति का हस्तक्षेप खत्म हो गया। साथ ही निजी विश्वविद्यालयों को मेडिकल की फीस खुद तय करने में अड़ंगा भी हट गया। इसके बाद मेडिकल कॉलेजों ने अध्ययनरत छात्रों के लिए मौजूदा शुल्क में वृद्धि कर दी। वहीं शुल्क में तकरीबन चार गुना वृद्धि के विरोध में एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में छात्र और अभिभावक चार दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।

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कॉलेजों के फैसलों से खफा अभिभावकों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर उन्हें शुल्क वृद्धि के बारे में जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने इस मामले में हस्तक्षेप कर निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों को शुल्क वृद्धि वापस लेने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि दो दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निजी कॉलेजों में शुल्क वृद्धि किए जाने के मामले में अलहदा रुख अपनाया था। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा में 500-700 करोड़ निवेश करने वाले निवेशकों को हतोत्साहित नहीं किए जाने की पैरवी की थी। छात्रों-अभिभावकों के असंतोष और मीडिया व सोशल मीडिया पर शुल्क वृद्धि के फैसले की आलोचना के बाद सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के छात्रों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। कॉलेजों की ओर से शुल्क वृद्धि वापस लेने के फैसले से छात्रों को फायदा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों ने पहले उनसे मुलाकात कर कॉलेजों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर बड़ी धनराशि खर्च किए जाने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने मेडिकल के छात्रों के शुल्क में वृद्धि का अनुरोध भी किया था। उधर, प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति भी इस मामले को लेकर गंभीर हुई है। समिति की दो अप्रैल को बैठक बुलाई गई है। इसमें एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के बारे में फैसला लिया जाएगा।

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