निजी विश्वविद्यालयों से संबंधित चार विधेयक
गैरसैंण में प्रस्तावित दो दिनी विधानसभा सत्र में निजी विश्वविद्यालयों से संबंधित चार विधेयक रखे जाने हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की हरी झंडी मिली तो प्रदेश में दो नए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना का रास्ता साफ हो सकता है। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय और क्वांटम विश्वविद्यालय के विधेयकों पर फैसले के लिए मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है। उक्त दो विधेयकों को शामिल किया जाए तो गैरसैंण विधानसभा सत्र में छह निजी विश्वविद्यालयों के विधेयकों को पारित कराने की तैयारी है। इनमें बीते सत्र में रखे गए दो निजी विश्वविद्यालय विधेयक भी हैं।
इन्हें विधानसभा से पारित करने के बावजूद राजभवन ने लौटा दिया था। गैरसैंण विधानसभा सत्र से ऐन पहले बीते रोज हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में दो निजी विश्वविद्यालयों श्री गुरु राम राय और क्वांटम के प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई। मंत्रिमंडल ने इन पर खुद फैसला न लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत को इसके लिए अधिकृत कर दिया है। यानी, मुख्यमंत्री चाहेंगे तो उक्त से संबंधित विधेयक विधानसभा के पटल पर रखे जा सकेंगे।
इनमें हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय, पोखड़ा पौड़ी गढ़वाल और रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के विधेयक को बीते जुलाई माह में हुए विधानसभा सत्र के दौरान भी पारित किया गया था, लेकिन इन विधेयकों को राजभवन की मंजूरी नहीं मिल पाई। राजभवन ने विधेयकों में खामियों की ओर इशारा करते हुए उन्हें सरकार को वापस कर दिया था। राजभवन ने आर्टिकल-200 के तहत संदेश के साथ लौटाए गए इन विधेयकों के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति की थी।
सूत्रों के मुताबिक निजी विश्वविद्यालयों के इन विधेयकों में शाखाएं खोलने का प्रावधान भी रखा गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों के मुताबिक निजी विश्वविद्यालय अपनी शाखाएं या स्टडी सेंटर संचालित नहीं कर सकते। इसी तरह विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद समेत तमाम संस्थाओं में प्रतिनिधि नामित करने के राज्यपाल के अधिकार पर विधेयक को मौन बताया गया। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा महकमे ने राजभवन की आपत्ति के मुताबिक खामियों को दूर किया है। नतीजतन इन विधेयकों को गैरसैंण सत्र में सदन के पटल पर रखा जाएगा।
इसके अलावा हिमवंत ग्लोबल निजी विश्वविद्यालय, कोटद्वार और गौरव भारती निजी विश्वविद्यालय बालावाला, देहरादून के विधेयक भी सदन में रखे जाएंगे। सरदार भगवान सिंह पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, बालावाला को गौरव भारती विश्वविद्यालय बनाए जाने के विधेयक के मसौदे को विचलन के जरिए पहले ही मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिल चुका है। प्रस्तावित विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जे के दायरे में लिए जाने की वजह से प्रोसेसिंग शुल्क दस लाख रुपये में रियायत मिली और संस्थान को सिर्फ एक लाख रुपये ही जमा कराने पड़े। सरकार ने अल्पसंख्यक दर्जा विश्वविद्यालय के लिए प्रोसेसिंग शुल्क भी 10 लाख रुपये के बजाए एक लाख रुपये रखा है।