माता खीर भवानी मंदिर पहुंचे उमर अब्दुल्ला, टेका मत्था; 3 जून से लगेगा मेला
आज जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कश्मीरी हिंदू के कुल देवी मंदिर में माथा टेकने पहुंचे। यहां उन्होंने विशेष पूजा-अर्चना भी की।

श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आज माता खीर भवानी मंदिर पहुंचे, यहां उन्होंने देवी के चरणों में अपना मत्था टेका है। जानकारी के मुताबिक, यह मंदिर तुलमुल्ला गांव में स्थित है। यह देवी खीर भवानी को समर्पित है, जो कश्मीरी हिंदुओं की कुल देवी भी मानी जाती हैं। माता खीर भवानी मंदिर में हर साल मेला लगता है, जो इस साल 3 जून को आयोजित होगा। जानकारी दे दें कि इस मंदिर में देवी को खीर (दूध और चावल से बनी मिठाई) चढ़ाई जाती है। उमर ने मंदिर में देवी की पूजा अर्चना भी की।
जानकारी दे दें कि इस मंदिर में देवी को खीर (दूध और चावल से बनी मिठाई) चढ़ाई जाती है। उमर ने मंदिर में देवी की पूजा अर्चना भी की।
किसने कराया था निर्माण?
खीर भवानी मंदिर कश्मीरी हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, यहां का इतिहास काफी पुराना है। जानकारी के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने सन् 1912 में कराया था और बाद में महाराजा हरि सिंह ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। यह मंदिर गंदेरबल जिले के तुलमुल गांव में स्थित है, जो श्रीनगर से 25 किलोमीटर दूर है।
क्यों नाम है मां खीर भवानी?
मंदिर का नाम खीर भवानी देवी के नाम पर पड़ा है, जो कश्मीरी हिंदुओं की कुलदेवी मानी जाती है। खीर भवानी देवी को देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है, उनकी पूजा कश्मीरी हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से की जाती है। मंदिर में खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है और इसीलिए मंदिर का नाम खीर भवानी पड़ा है।
मंदिर से जुड़ी है मान्यता
खीर भवानी मंदिर के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हैं। इनमें से एक प्रमुख मान्यता यह है कि मंदिर के कुंड का पानी आपदा से पहले काला हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि 2014 में कश्मीर में आई बाढ़ से पहले कुंड का पानी काला हो गया था, जो एक संकेत था।
हर साल लगता है मेला
खीर भवानी मेला कश्मीरी पंडितों के सबसे बड़े धार्मिक उत्सवों में से एक है। यह मेला सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि इस इलाके में मुसलमान भक्तों के लिए सारी व्यवस्थाएं करते हैं जिसमें फूलों और अन्य प्रसाद के लिए स्टाल लगाना आदि शामिल है। बता दें कि हर साल ज्येष्ठ अष्टमी के शुभ अवसर पर कश्मीरी पंडित माता रागन्या देवी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।