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सिमी सरगना समेत 11 को उम्रकैद

इंदौर। विशेष अदालत ने सिमी सरगना सफदर हुसैन नागौरी समेत इस प्रतिबंधित संगठन के 11 कार्यकर्ताओं को देशद्रोह के नौ साल पुराने मुकदमे में आज उम्रकैद की सजा सुनायी। अहमदाबाद की साबरमती केंद्रीय जेल में बंद 10 मुजरिमों की गुहार पर उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये फैसला सुनाया गया। विशेष अपर सत्र न्यायाधीश बीके पालोदा ने सभी 11 सिमी कार्यकर्ताओं को भारतीय दंड विधान की धारा 124-ए (देशद्रोह), 153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता फैलाना और सौहार्द्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले काम करना), विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम और अन्य सम्बद्ध कानूनों के तहत दोषी करार दिया।

मुजरिमों में सफदर हुसैन नागौरी, हाफिज हुसैन, आमिल परवाज, शिवली, कमरूद्दीन, शाहदुली, कामरान, अंसार, अहमद बेग, यासीन और मुनरोज शामिल हैं। नागौरी, परवाज, हुसैन, कमरूद्दीन, कामरान, शिवली और अहमद बेग को भारतीय दंड विधान की धारा 122 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार जमा करना) के तहत भी दोषी करार दिया गया और उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। अदालत ने अपने 84 पृष्ठ के फैसले में कहा, ‘मुजरिमों की गतिविधियों से प्रकट होता है कि विधि द्वारा स्थापित संवैधानिक भारत सरकार में उनका कोई विश्वास नहीं है। उनके कृत्य राष्ट्रीय एकता और अखंडता के विरुद्ध हैं। वे धार्मिक विद्वेष के आधार पर सम्पूर्ण मानवता के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न करने के लिये किये गये अवैध क्रियाकलापों में शामिल हैं।’ अभियोजन पक्ष ने सिमी कार्यकर्ताओं पर जुर्म साबित करने के लिये 27 गवाहों को अदालत में पेश किया।

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सिमी कार्यकर्ताओं को अधिकतम सजा दिये जाने की गुहार करते हुए अभियोजन ने अदालत में कहा कि प्रतिबंधित संगठन के इन गुर्गों द्वारा भारत सरकार के खिलाफ जान-बूझकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियां संचालित की गयीं और उन्होंने धर्म के आधार पर घृणा और नफरत फैलायी। सिमी कार्यकर्ताओं ने इस मकसद के लिये आपत्तिजनक सामग्री, शस्त्र तथा विस्फोटक जमा किये और नौजवानों को आतंकी प्रशिक्षण देकर देश के खिलाफ भड़काया। अभियोजन ने पुलिस की जांच के आधार पर कहा कि सिमी कार्यकर्ताओं का कुछ आतंकी संगठनों से भी सम्बंध सामने आये हैं। वे (सिमी कार्यकर्ता) कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग नहीं मानते और उनके कब्जे से ऐसी आपत्तिजनक सामग्री मिली है जिसमें इस संबंध में ‘जिहाद’ छेड़े जाने का जिक्र है।

सरकारी वकील विमल मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि मुनरोज को छोड़कर शेष 10 मुजरिम अहमदाबाद के साबरमती केंद्रीय जेल में बंद हैं। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान उनकी गुहार के मुताबिक उन्हें फैसले के वक्त गुजरात की इस जेल से इंदौर नहीं लाया गया और उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत के सामने पेश कर फैसला सुना दिया गया। मिश्रा ने बताया कि मुनरोज मामले में लम्बे समय से जमानत पर बाहर चल रहा था। वह फैसले के वक्त इंदौर की अदालत के सामने पेश हुआ। मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद उसे अदालत से शहर के केंद्रीय जेल भेज दिया गया। मामले में मुजरिम करार दिये गये 11 सिमी कार्यकर्ताओं को मुखबिर की सूचना पर इंदौर से 26 और 27 मार्च 2008 की दरम्यानी रात गिरफ्तार किया गया था। इनकी निशानदेही पर जिलेटिन की छड़ें, डेटोनेटर और अन्य विस्फोटक सामान के साथ आपत्तिजनक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज, सीडी, पेन ड्राइव, भड़काऊ ऑडियो-वीडियो सामग्री व साहित्य, पिस्तौल, देशी कट्टे और जिंदा कारतूस भी बरामद किये गये थे।

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