पाकिस्तान की ओर से हो रही फायरिंग में 4 नागरिक जख्मी
श्रीनगर। भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम कर दिया। मंगलवार रात बांदीपोरा जिले के गुरेज सेक्टर में मुठभेड़ में तीन आतंकियों मारे गए। इसी दौरान पाकिस्तानी सेना ने तंगधार सेक्टर में संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए मोर्टार दागे। पाक फायरिंग में 4 आम भारतीय जख्मी हो गए। सीमा पार से हुई गोलाबारी का भारतीय सेना ने भी माकूल जवाब दिया।
एलओसी पर मंगलवार सुबह भी पाकिस्तानी सेना ने राजौरी जिले के सुंदरबनी सेक्टर में सीजफायर उल्लंघन किया था। इसमें भारतीय जवान नाइक कृष्ण लाल (34) शहीद हो गए। वे अखनूर के घागरिया गांव के रहने वाले थे। सेना के सूत्रों ने बताया कि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के दो जवान मारे गए। रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार सुबह ही सुरक्षाबलों ने बांदिपोरा जिले के गुरेज ब्लॉक के कंजलवान में दो आतंकियों को मार गिराया।
इससे पहले 27 जुलाई को शोपियां में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसमें जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर मुन्ना लाहौरी उर्फ बिहारी समेत 2 आतंकी मारे गए थे। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया था कि मुन्ना लाहौरी ने घाटी में कई नागरिकों की हत्या की थी। वह पुलवामा में हुए कार ब्लास्ट के अलावा 30 मार्च को बनिहाल में हुए धमाके में भी शामिल रहा था।
जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है। रिपोर्ट के मुताबिक- केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के कश्मीर दौरे के बाद राज्य में 10 हजार अतिरिक्त सुरक्षाबलों की 100 कंपनियां तैनात करने का फैसला लिया है। सूत्रों की मानें तो 15 अगस्त से पहले श्रीनगर में 15, पुलवामा और सोपोर में 10-10, बाकी 10 जिलों में 5-5 कंपनियां तैनात होंगी। सरकारी सूत्र ने दावा किया कि राज्य में अनुच्छेद 35ए हटाने के बाद की स्थिति से निपटने के लिए जवान कश्मीर भेजे जा रहे हैं।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने हाल ही में सदन में बताया था कि जम्मू कश्मीर में पांच साल में 963 आतंकवादी मारे गए, जबकि 413 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। तीन साल में 400 से अधिक घुसपैठ की घटनाएं हुईं। इनमें 2016 में 119, 2017 में 136 और 2018 में 143 बार कोशिश की गई।