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पाक़िस्तान ने रोके थे अभिनंदन को भेजे रेडियो संदेश

नई दिल्ली। गो कोल्ड…गो कोल्ड… यानी लौट आओ…लौट आओ…। यह वह रेडियो संदेश था, जो 27 फरवरी की सुबह विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को कमांड रूम से लगातार भेजा गया था, लेकिन यह उन तक पहुंचा ही नहीं। मिग-21 से पाक लड़ाकू विमान एफ-16 का पीछा करते हुए अभिनंदन पीओके में चले गए थे। कमांड रूम से उन्हें लगातार वापस लौटने का संदेश भेजा जा रहा था।

इस पूरी घटना की जांच में सामने आया है कि पाकिस्तानी वायुसेना ने अभिनंदन के लिए भेजे जा रहे भारतीय वायुसेना के रेडियो संदेश न सिर्फ सुने, बल्कि उन्हें अभिनंदन तक पहुंचने से भी रोक दिया था। जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वायुसेना के पास अगर सुरक्षित रेडियो संदेश होता तो अभिनंदन पाक के कब्जे में जाने से बच सकते थे।

बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तान ने 24 विमानों की फाॅर्मेेशन से हमला बोला था। इनमें से 12 विमानों ने जम्मू-कश्मीर की ओर रुख किया। अम्बाला स्थित इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम ने पाक एयरफोर्स की इस हरकत को देख लिया था। उस समय पीर पंजाल के दक्षिण में दो सुखाई-30 और दो मिराज-2000 पैट्रोलिंग पर थे। इसके अलावा 8 मिग-21 विमानों को श्रीनगर और अवंतिपुरा से रवाना किया गया। इनमें से एक मिग-21 को अभिनंदन उड़ा रहे थे। सूत्रों के अनुसार, अभिनंदन ने जिस आखिरी संदेश को सुनने की पुष्टि की है, वह यह था कि उनके पश्चिम में दुश्मन का इलाका है। यानी तब तक अभिनंदन अपनी सीमा में थे। उसके तुरंत बाद उनके विमान से संदेशों के जवाब मिलने बंद हो गए थे।

पूर्व वायुसेना उपप्रमुख ने बताया कि एयर मार्शल रविकांत शर्मा, ‘‘आज वॉट्सऐप के संदेश हम एन्क्रिप्टेड रूप में भेजते हैं, लेकिन वायुसेना के पायलट को जब रेडियो संदेश भेजते हैं तो उन्हें डीकोड करके कहीं भी समझा जा सकता है। दुश्मन देश सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो-एसडीआर टेक्नोलॉजी इस्तेमाल कर रहा है। यह बिलकुल ऐसा है, जैसे किसी गाने के रिकॉर्ड पर सुई अटक जाती है और फिर कुछ समझ नहीं आता।’’

अभी तक डीआरडीओ संदेश भेजने की नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा था। तर्क यह था कि रेडियो संदेश की टेक्नोलॉजी देसी होगी तो सुरक्षित रहेगी। लेकिन, सफलता हाथ नहीं लगी। अब रक्षा मंत्रालय ने मेक इन इंडिया के तहत टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए विदेशी कंपनियों से संपर्क किया है। सूत्र ने बताया कि इजरायली कंपनी राफेल से रेडियो सेट खरीदे जाएंगे और बाद में उन्हें भारत में बनाएंगे। यह स्पष्ट नहीं है कि ये सेट भारत में सरकारी कंपनी बनाएगी या निजी।

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