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पलायन रोकने के लिए त्रिवेन्द्र सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से शुरू किया काम

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार 18 मार्च को तीन साल पूरे करने जा रही है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकना त्रिवेन्द्र सरकार का टाप एजेंडा रहा है। गैरसैण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति और दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के प्रति गम्भीरता को बताता है।

त्रिवेन्द्र सरकार ने पलायन को रोकने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू किया। ग्रामीण विकास और पलायन आयोग का गठन किया गया। आयोग ने जिलावार अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट दी जिसके अनुसार योजनाएं बनाई जा रही है। सीमांत तहसीलों के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की है। राजकीय स्कूलों में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू करने के साथ ही क्वालिटी एजुकेशन के लिए स्मार्ट क्लासेज भी शुरू की गई हैं।

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पर्वतीय क्षेत्रों में डाक्टरों की संख्या पहले से दोगुनी की गई। टेलीमेडिसीन और टेलीरेडियोलोजी भी फायदेमंद साबित हो रही हैं। ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य उपकेंद्रों का हैल्थ एंड वैलनैस सेंटर के रूप अग्रेडेशन कर रहे हैं। सभी 670 न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। 83 ग्रोथ सेंटरों के लिए धनराशि जारी की जा चुकी है। बहुत से ग्रोथ सेंटर शुरू भी हो चुके हैं। इससे ग्रामीण आर्थिकी मजबूत होगी। किसानों और महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

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होम स्टे की कन्सेप्ट को बहुप्रचारित किया जा रहा है। पंजीकृत होमस्टे को घरेलू दर पर बिजली व पानी की व्यवस्था की गई है। लगभग 2100 होमस्टे पर्यटन विभाग में पंजीकृत किए जा चुके हैं। इनकी मार्केटिंग के लिए मेक माई ट्रिप से एमओयू किया गया है। 13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टीनेशन से नए पर्यटन केंद्रों का विकास हो रहा है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 3900 जैविक क्लस्टरों में काम शुरू किया गया है। सौर ऊर्जा और पिरूल ऊर्जा नीति, ग्रामीण युवाओं की आजीविका में सहायक होगी। सड़क, रेल व एयर कनेक्टीवीटी में विस्तार किया जा रहा है।

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आल वेदर रोड़, भारतमाला परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना गेम चेंजर बनने जा रही हैं। एयर कनेक्टीवीटी पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य में 27 हेलीपोर्ट विकसित किए जा रहे हैं।  2022 तक सभी गांवों को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। सौभाग्य योजना से घर-घर बिजली पहुंचा दी गई है। प्रदेश के 15.09 लाख परिवारां को ‘‘हर घर को नल से जल’’ दिलाने की योजना शुरू की है।

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तीन वर्षों में ये लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। उत्तराखण्ड के प्रवासी लोगों को राज्य से जोड़ने के लिए जल्द ही अलग प्रकोष्ठ/ विभाग बनाने जा रहे हैं। युवाओं से लगातार संवाद किया जा रहा है। शहरों में रहने वाले बहुत से युवा अपनी आराम की जिंदगी को छोड़कर पहाडों में नए विजन के साथ काम करने आए हैं। कुल मिलाकर यह अहसास तो हुआ है कि रिवर्स पलायन मुमकिन है।

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