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पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल

देहरादून। राजधानी दून में बुधवार 27 सितंबर विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर राजपुर रोड स्थित मधुबन होटल में दिव्य हिमगिरि पत्रिका और उत्तराखंड मानवाधिकार संरक्षण केन्द्र की ओर से ‘उत्तराखंड की कला साहित्य और संस्कृति की विरासत के साथ पर्यटन का विकास’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति डा0 आर.मीनाक्षी सुदरम् ने कहा कि 2013 के बाद की आपदा के बाद उत्तराखंड में पर्यटन को उभरने में थोड़ा समय लगा है। लेकिन आज उत्तराखंड में पर्यटन क्षेत्रा मजबूत हो रहा है। यहां पर जीडीपी का 30 प्रतिशत पर्यटन से प्राप्त होता है। मीनाक्षी जी ने कहा कि पर्यटन में अगर सुधर आयेगा तो रोजगार सृजन होगा। उन्होंने बताया कि पर्यटन क्षेत्रा में पूरे देश में उत्तराखंड राज्य 17वें स्थान पर आता है।

उन्होंने बताया कि हमारे यहां विदेशी सैलानियों का आगमन कम होता है। यहां पर ज्यादातर विदेशी सैलानी  रिषिकेश और मांउटनेयरिंग करने आते हैं। विदेशों में रिषिकेश का नाम कापफी प्रसिद्ध हैं इसलिए हमें पर्यटन में सुधर करके ज्यादा से ज्यादा सैलानियों को यहां आमंित्रात करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यहां पर धार्मिक पर्यटक ज्यादा आते हैं। मांउटनेयरिंग और एडवेचर टूरिजम की जो सहुलियत हिमाचल के पास है वह हमारे पास भी है। उसके बावजूद यहां पर्यटक कम आते हैं जिसका कारण प्रचार-प्रसार में कमी है। अब हम सोशल मीडिया के माध्यम से टूरिजम को बढ़ावा देने जा रहे हैं। साथ ही नई टूरिज्म पाॅलिसी भी नवंबर के आखिरी सप्ताह तक अस्तित्व में आ जायेगी। हम प्रयास कर रहे हैं कि पर्यटक चार धाम के साथ अन्य ऐतिहासिक और धर्मिक स्थलों के दर्शन करने भी आए। हमने इस नवरात्र से एक नई पहल की ओर उत्तराखंड के सिद्ध पीठ शक्ति स्थलों का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से एक विज्ञापन कैंपेन भी चलाया, इस पर हम अभी ओर आगे कार्य करेंगे।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में एक नया टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने जा रहे हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा सैलानी यहां आएं, प्रत्येक टूरिस्ट डेस्टिनेशन एक अलग थीम पर होगा। इसके लिए कल होने वाली मंत्रिपरिषद की बैठक में लैंड बैंक बनाने के लिए प्रस्ताव लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विंटर टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। विंटर टूरिजम को डेवलप करने के लिए प्रफांस के सहयोग से औली को एक इंटरनेशनल टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। बाहर के राज्यों में पर्यटन के लिए कापफी प््राचार-प्रसार किया जाता है जबकि उत्तराखंड इसमे कापफी पिछड़ा हुआ है।

हाल ही में हमारी आर्थिक विकास दर में भी कमी आई है जो कि 7.9 से 5.9 हो गई है। हम राज्य में टूरिजम सेक्टर को बढ़ावा देकर अपनी आर्थिक विकास दर बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। हम प्रधान0मंत्री की पहल पर राज्य में 5 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक घरेलू पयर्टन को बढावा देने के लिए 20 टूरिस्ट डेस्टिनेशनों पर 20 दिन के ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रहे है जिनसे घरेलू पर्यटन को बढ़ावा मिले। हम उत्तराखंड के व्यंजनों के प्रचार-प्रसार के लिए भी एक बड़ा पूफड पफेस्टिवल का आयोजन करने जा रहे है। हमने टूरिज्म के प्रचार प्रसार को राष्ट्रीय स्तर पर एक बेहतर ढंग से करने के लिए दो मीडिया क्षेत्रा की दिग्गज कंपनियों को भी कंसल्टेंट नियुक्त किया है। इस अवसर पर उन्होंने दिव्य हिमगिरि द्वारा उत्तराखंड प्रसिद्ध सिद्ध शक्ति पीठ पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होेंने कहा कि हम अपने राज्य के टूरिस्ट डेस्टिेशनों के बारे में साहित्य का संकलन करके भी दुनिया भर में टूरिज्म का प्रचार-प्रसार कर सकते है। उन्होंने कहा कि हम ओपन पब्लिक पफोरम पर संवाद करके पर्यटन विकास की कमियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्क्षता कर रहे पद्मश्री लीलाध्र जगूडी ने कहा कि हमें धर्मिक पर्यटन पर ही आश्रित रहने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान टूरिज्म के माॅडल को यहां भी अपनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान ने अपनी कला, साहित्य, संस्कृति, संगीत, नृत्य, हस्तकला, लोक गायन, परिधान, व्यंजनों का विकास करके उसकी दुनिया भर में मार्केटिंग की है और यहां तक की उन्होंने अपनी रेत को भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हमारे यहां तो बुग्याल, नदियां, धाम, ऐतिहासिक स्थल, साहसिक पर्यटन के अलावा लोक गायन, वादन, कला, साहित्य, संस्कृति आदि बहुत कुछ है जो हमें दूसरें राज्यों से यूनिक बनाती है। उन्होंने कहा कि यहां पर इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे 12 महीने पर्यटक यहां आएं। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एस.एस. पांगती ने कहा कि राज्य में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। पर्यटन को विंटर गेम्स के साथ जोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। डा0 आर.के. वर्मा ने कहा कि उत्तराखंड को फिल्म जगत से जोड़कर व यहां पर पिफल्म इंडस्ट्री को बढ़ावा देकर पर्यटन को बढ़ाया दिया जा सकता है। डा0 ए.के. काम्बोज ने कहा कि राज्य में मेडिकल टूरिजम की भी संभावना है। नए टूरिस्ट डेस्टिनेशनों को वेलनेस डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। सुनील अग्रवाल ने सुझाव देते हुए कहा कि पर्यटन को बढावा देने के लिए सड़कों और पार्किग व्यवस्था को दुरस्त किया जाए। जिससे जो भी पर्यटक यहां आए अच्छा संदेश लेकर जाए।

इस मौके पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक विवेक चैहान, वरिष्ठ शोध अधिकारी सुरेंद्र सांवत, यूको बैंक के जोनल हैड एलपी सिंघल, जिला ग्रामोद्योग अधिकारी डा. अलका पांडेय, पद्मश्री वैद्य बालेन्दु प्रकाश, पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के  अध्यक्ष एस.पी. कोचर, आइस हाॅकी संघ के अध्यक्ष अरविंद गुप्ता, पफुटबाल रेपफरी एसोसिएशन के वीएस रावत, अपना परिवार के संयोजक पुरूषोत्तम भट्ट एवं संजय श्रीवास्तव, यूएचएमआईटी के चैयरमेन ललित मोहन जोशी, पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा, कायस्थ महासभा की अध्यक्षा डा. ज्योति श्रीवास्तव, दून क्लब के पूर्व अध्यक्ष अजय श्रंगारी, भाषा संस्थान के पूर्व सचिव डा. मुनिराम सकलानी, एमकेपी हिंदी विभागाध्यक्ष डा. विद्या सिंह, डा. आलोक जैन, दून डिपफेंस एकेडमी के चैयरमेन संदीप गुप्ता, रोटी बैंक संयोजक हिमांशु पुंडीर, सर्वसमाज के अध्यक्ष रामकुमार वालिया, विश्व संवाद केंद्र के संयोजक हिमांशु अग्रवाल, पूर्व पुलिस अधिकारी जगराम, माई एडवेेेनचर क्लब की संस्थापक शिवानी गुंसाई, उत्तराखंड मानवाधिकार संरक्षण केंद्र के सचिव कुंवर राज अस्थाना, राजीव वर्मा, सुनील अग्रवाल, राजेश वासु, आरके साधु आदि काफी संख्या में गणमान्य नागरिकों ने कार्यक्रम में शिरकत की।

 

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