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केदारनाथ धाम पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने विधिविधान से की भगवान शिव की पूजा

नई दिल्ली।  आज पूरा विश्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिव भक्ति देख रहा है। पीएम मोदी ने भगवान शिव के धाम केदारनाथ में आज विधि-विधान से पूजा की। पिछले 4 साल में ये पांचवां मौका है जब प्रधानमंत्री अपने आराध्य के दरबार में पहुंचे हैं। उन्होंने केदारनाथ के गर्भगृह में पूजा की, रुद्राभिषेक किया और फिर आरती की। प्रधानमंत्री मोदी ने आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया और समाधि स्थल पर ध्यान भी लगाया। थोड़ी देर में पीएम मोदी 400 करोड़ की योजनाओं की सौगात देंगे। 2013 की तबाही के बाद आज केदारनाथ का जो रूप दिख रहा है उसके पीछे सबसे बड़ी ताकत पीएम मोदी का संकल्प है जो उन्होंने पीएम बनने के बाद लिया।

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‘चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड तोड़ रही है’

केदारनाथ में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ”जितनी तेजी से केदारनाथ में इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है उसे देखते हुए मैं कह सकता हूं कि पिछले 100 साल में जितने तीर्थयात्री आए हैं, आने वाले 10 साल में उससे भी ज्यादा आने वाले हैं। 21वीं सदी का यह तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक है मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए। हाल के दिनों में हमने सभी ने देखा कि किस तरह चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है, कोविड नहीं होता तो न जाने यह संख्या कहां से कहां पहुंच गई होती।”

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‘आदि शंकराचार्य का जीवन असाधारण था’

पीएम ने कहा, ”आज मुझे गोवर्धन पूजा के दिन केदारनाथ जी में दर्शन पूजन करने का सौभाग्य मिला। बाबा केदार के दर्शन के साथ ही अभी मैंने आदि शंकराचार्य जी के समाधि स्थान पर कुछ पल बिताए, एक दिव्य अनुभूति का वह पल था। सामने बैठते ही लग रहा था कि आदि शंकर की आंखों से वो तेज पुंज वो प्रकाश पुंज प्रवाहित हो रहा है जो भव्य भारत का विश्वास जगा रहा है। शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे।”

‘मेरे भीतर की आवाज कह रही थी केदारनाथ पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा’

उत्तराखंड आपदा को याद करते हुए पीएम ने कहा, ”बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।”

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