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प्राकृतिक सौंदर्य की धनी पर्यटन नगरी

अल्मोड़ा। देवभूमि उत्तराखण्ड अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात है वही इसके विभिन्न शहर, स्थान पर्यटन , आध्यात्म के गुणों को समेटे हुए है।  अल्मोड़ा जिले के रानीखेत शहर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात है। रानीखेत विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों से भी चारों ओर से घिरा है। विभिन्न दर्शनिय स्थलों की धनी रानीखेत नगरी ब्रिटीशकाल से ही पसंदीदा रही है। हिमालय की सुंदर विंहगम पर्वत श्रंखलाओं के दर्शन रानीखेत से किये जा सकते है। विश्व प्रसिद्ध गोल्फ मैदान, झूला देवी मंदिर, राम मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, हैंडाखान मंदिर, कालिका मंदिर , विनसर महादेव मंदिर, चौबटिया गार्डन, रानी झील  जैसे अनेक दर्शनीय स्थलों की धनी है पर्यटन नगरी रानीखेत।

छावनी परिषद की साफ सुथरी नगरी व आशियाना पार्क, विजय चौक, जय जवान जय किसान पार्क, गोविन्द बल्लभ पंत पार्क, गांधी पार्क, सुभाष चौक, रानी झील  सहित अनेक मनमोहक दर्शनीय स्थलों से सुशोभित है पर्यटन नगरी रानीखेत। रानीखेत उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले के अंतर्गत एक खूबसूरत, दर्शनीय पहाड़ी पर्यटन स्थल है। देवदार और बुरांस, काफल के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक एंव दर्शनीय लघु हिल स्टेशन है। प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग रानीखेत समुद्र तल से लगभग 6000 फीट लगभग 1854 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। जो प्रकृति की सुंदर गोद में बसा हुआ है। प्राकृतिक सौंदर्य जैसे रानीखेत को वरदान में मिला हो।

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प्राकृतिक सौंदर्य का धनी रानीखेत छावनी का यह शहर अपने पुराने मंदिरों के लिए मशहूर है। देवभूमि उत्तराखंड की कुमाऊं की पहाड़ियों के आंचल में बसा रानीखेत फ़िल्म निर्माताओं को भी बहुत पसन्द आता है। यहां पर अनेक फिल्मों का  फिल्मांकन भी समय समय पर होता रहता है। निकटवर्ती प्रसिद्ध गोल्फ मैदान भी पर्यटकों , फिल्म निर्माताओं की पसंदीदा स्थान रही है अधिकांशतः यहां पर पर्यटकों की भीड़ रहती है। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती प्राकृतिक सौंदर्य है।किवदंती के अनुसार रानीखेत का नाम रानी पद्मिनी के कारण पड़ा। रानी पद्मिनी राजा सुखदेव की पत्नी थीं, जो वहां के राज्य के शासक थे। रानीखेत की सुंदरता देख राजा और रानी बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने वहीं रहने का फैसला कर किया। रानीखेत के कई इलाकों पर कत्यूरी शासकों व अनेक स्थानों पर कुमांऊनी का शासन था पर बाद में यह ब्रिटिश शासकों के हाथ में चला गया।

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अंग्रेजों ने रानीखेत को छुट्टियों में मौज- मस्ती के लिए हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया तथा रानीखेत अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान रहा है, और 1869 में यहां कई छावनियां बनवाईं जो अब ‘कुमांऊ रेजीमेंटल सेंटर’ है। इस पूरे क्षेत्र की मोहक सुंदरता का अनुमान कभी नीदरलैण्ड के राजदूत रहे वान पैलेन्ट के इस कथन से लगाया जा सकता है- जिसने रानीखेत को नहीं देखा, उसने भारत को नहीं देखा। यह भी माना जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले कत्यूरी शासन काल में जियारानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थीं। इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि-विश्राम के लिए रुकीं। बाद में उन्हें यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना स्थायी निवास बना लिया। चूंकि तब इस स्थान पर छोटे-छोटे खेत थे, इसलिए इस स्थान का नाम ‘रानीखेत’ पड़ गया।

अंग्रेज़ों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास किया गया। क्योंकि रानीखेत में छावनी क्षेत्र होने के कारण यह पूरा क्षेत्र काफ़ी साफ-सुथरा रहता है। रानीखेत जहां अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात है वहीं रानीखेत ब्रिटिशकालीन शासकों के समय से ही प्रशासनिक कार्यो की कार्यस्थली रही है। रानीखेत अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जन्मभूमि व अनेक प्रसिद्ध जनप्रतिनिधियों की कर्मस्थली व जन्मस्थली रहा है। स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग के लिए आंदोलन या दशकों से चली आ रही जिले की मांग के लिए आंदोलन हो , इन सब आंदोलनों की गवाह है पर्यटन नगरी रानीखेत। रानीखेत में आज भी ब्रिटिशकालीन प्रशासनिक भवन व अनेक प्राचीन काल में निर्मित भवन अपने सौंदर्य की गवाही दे रहे हैं कि ब्रिटिश शासनकाल में  बड़े बड़े नामी अंग्रेज प्रशासकों ने रानीखेत से ही प्रशासन चलाया था और रानीखेत क्षेत्र बहुत ही पसंदिदा स्थान बन चुका था।

हिमाच्छादित गगनचुंबी पर्वत, सुंदर घाटियां, चीड़ और देवदार, बुरांश के ऊंचे-ऊंचे पेड़, घना जंगल, फलों लताओं से ढके संकरे रास्ते, टेढ़ी- मेढ़ी जलधारा, सुंदर वास्तु कला वाले प्राचीन मंदिर, ऊंची उड़ान भर रहे तरह-तरह के पक्षी और शहरी कोलाहल तथा प्रदूषण से दूर ग्रामीण परिवेश का अद्भुत सौंदर्य आकर्षण का केन्द्र है।  रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी , द्वाराहाट, दूनागिरी, पांडवखोली, चौबटिया और कालिका , बिनसर महादेव मंदिर, चिलियानौला, हैंडाखान पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। रानीखेत का प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है | रानीखेत के अनेक उपमंडल क्षेत्र पर्यटन विकास की अपार संभावनाओं को संजोये हुए है। रानीखेत पर्यटन का धनी है इसकी सुंदरता को संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है।  देवभूमि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात है इसकी सुंदरता को बनाये रखने के लिए सभी को प्रयासरत रहना चाहिए।

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भुवन बिष्ट , रानीखेत (अल्मोड़ा)

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