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निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से अब ऐसे निपटेगी धामी सरकार

Uttarakhand News : इस कानून के लागू होने के साथ ही दंगों और विरोध प्रदर्शनों में सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान की भरपाई क्षति पहुंचाने वाले दंगाइयों और उपद्रवियों से होगी।

देहरादून। विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले दंगाइयों को अब सरकार कड़ा सबक सिखाएगी। सोमवार को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश-2024 को मंजूरी दे दी गई। सरकार का दावा है कि यह देश का सबसे कठोर दंगारोधी कानून साबित होगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अध्यादेश को मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेज दिया गया है।

इस कानून के लागू होने के साथ ही दंगों और विरोध प्रदर्शनों में सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान की भरपाई क्षति पहुंचाने वाले दंगाइयों और उपद्रवियों से होगी। अधिनियम के तहत एक या उससे अधिक दावा अधिकरण (ट्रिब्यूनल) का गठन होगा, जिसके फैसले को किसी भी सिविल न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

दावा क्षतिपूर्ति के अलावा दंगों और विरोध प्रदर्शनों में मृत्यु पर न्यूनतम आठ लाख और घायल होने पर न्यूनतम दो लाख रुपये की जुर्माना राशि तय की गई है, जो उत्तरप्रदेश में लागू अधिनियम से अधिक है। सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूर हुए अध्यादेश को लाने से पूर्व प्रदेश में सरकारी संपत्ति विरुण अधिनियम लागू है, जिसमें डीएम को शिकायत करने का प्रावधान है। लेकिन, लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश के तहत दावा अधिकरण की व्यवस्था की गई है, जो घटना में हुए नुकसान का प्रतिकर निर्धारित करेगा।

इसके लिए उसे जांच कराने, नुकसान का आकलन करने और एक दावा आयुक्त नियुक्त करने का भी अधिकार होगा। मदद के लिए आकलनकर्ता भी नियुक्त हो सकेगा। अधिकरण के पास सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी। उसे सिविल न्यायालय के रूप में समझा जाएगा। ऐसे मामलों का अधिकरण स्वप्रेरणा से भी संज्ञान ले सकता है।

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तीन वर्ष के भीतर करनी होगी दावा याचिका

अध्यादेश में हड़ताल, बंद, दंगों, लोक उपद्रव या प्रतिवादों के कारण निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए याची तीन वर्ष के भीतर निर्धारित न्यायालीय फीस के साथ याचिका दाखिल कर सकेगा।
लोक संपत्ति के लिए तीन माह में दावा याचिका
लोक संपत्ति व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के मामले में घटना के तीन माह के भीतर प्रतिकर के लिए दावा अधिकरण के सामने दावा याचिका दाखिल करनी होगी। इसके लिए घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट पर आधारित संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट या कार्यालय प्रमुख के माध्यम से दावा याचिका दाखिल होगी। कार्यालयाध्यक्ष, कार्यपालक, मुख्य कार्यपालक द्वारा प्राधिकृत कोई व्यक्ति दावा याचिका दाखिल कर सकेगा।
बाजार मूल्य पर होगी नुकसान की भरपाई
इस कानून के तहत संपत्ति की नुकसान की भरपाई बाजार मूल्य से कम पर नहीं होगी। किसी व्यक्ति की मृत्यु के संबंध में जुर्माना या प्रतिकर की धनराशि न्यूनतम आठ लाख रुपये और किसी व्यक्ति के स्थायी रूप से विकलांग होने पर न्यूनतम दो लाख रुपये होगी।
हड़ताल, बंद, दंगों का नेतृत्व करने वाला भी नपेगा
इस कानून के तहत उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकेगी, जिन्होंने हड़ताल, बंद, दंगों का नेतृत्व या उनका आह्वान किया। दावा याचिका में कार्यालयाध्यक्ष या निजी संपत्ति स्वामी नुकसान के दावा के लिए की गई याचिका में ऐसे व्यक्ति को जिन्होंने हड़ताल, बंद, दंगों का आह्वान किया हो या जिनके नाम पुलिस की रिपोर्ट में दर्ज हों, जिन्होंने विरोध-प्रदर्शन प्रायोजित किया हो, आहूत किया, प्रतिवादियों के रूप में माने जाएंगे।
राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा अध्यादेश
प्रदेश मंत्रिमंडल में मंजूरी के बाद प्रदेश सरकार ने अध्यादेश को मंजूरी के लिए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) को भेज दिया है। चूंकि वर्तमान में विधानसभा सत्र नहीं चल रहा है, ऐसे में संविधान में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर राज्यपाल को इस कानून को राज्य में लागू करने के अधिकार प्राप्त हैं। राज्यपाल की मंजूरी के बाद राज्य में उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति वसूली अध्यादेश लागू हो जाएगा।

देवभूमि में कानून व्यवस्था और स्वरूप को बिगाड़ने की किसी को भी छूट नहीं है। कानून तोड़ने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी। दंगाइयों से निपटने के लिए सख्त कानून को मंजूरी दे दी है। दंगाइयों को सजा भी दी जाएगी और नुकसान की पूरी भरपाई भी कराई जाएगी। इस कानून का राज्य में कड़ाई से पालन कराया जाएगा।

-पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

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