उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर जनसेवी भावना पांडे ने फिर उठाए सवाल, कही ये बात
देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर एक बार फिर सवाल खड़े किये हैं। इससे पूर्व भी वो राज्य सरकार से प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करने की मांग करतीं रहीं हैं।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने मीडिया को जारी अपने एक बयान में कहा कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। पहाड़ के दुर्गम इलाकों में तो स्वास्थ्य सुविधाएं ढूंढने से भी नज़र नहीं आती। पहाड़ों में बसे प्रदेश के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में ही जीवन गुज़ारना पड़ रहा है। वहीं आपातकाल होने पर लोगों को कईं मुसीबतों का सामना करते हुए मरीज़ को उपचार केंद्र तक लाना पड़ रहा है।
जनसेवी भावना पांडे ने चमोली जनपद की एक ताज़ा घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में गोपेश्वर के गांव के लिए बन रही पाणा-ईराणी सड़क का काम अभी तक पूरा न होने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यहां सड़क नहीं बनने पर ईराणी गांव की बीमार महिला को ग्रामीण पांच किलोमीटर तक पैदल चलकर डंडी के सहारे सड़क तक लाए। उसके बाद महिला को वाहन से जिला अस्पताल गोपेश्वर पहुंचाया गया।
उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने रोष जताते हुए कहा कि पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाएं व सड़क मार्ग उपलब्ध न होने की वजह से ऐसे में महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीण उसे डंडी (पालकी) के सहारे पांच किमी पैदल चलकर भेलतना तक लाए। उन्होंने कहा कि बारिश से पैदल रास्ते जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे आवाजाही जोखिम भरी हो गई है। वहीं मजबूरन लोगों को गदेरे में उतरकर आवाजाही करनी पड़ रही है।
उन्होंने अभी हाल ही में हुई एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पिथौरागढ़ के मुनस्यारी की ग्राम पंचायत पातों में समय पर उपचार मुहैया न होने की वजह से एक गर्भवती महिला ने खेत में ही बच्चे को जन्म दे दिया। इमरजेंसी नम्बर पर काफी देर तक मदद मांगने पर प्रसव होने के करीब दो घंटे बाद मदद के लिए हेलिकॉप्टर मेडिकल टीम के साथ पहुंचा। जांच के बाद टीम ने नवजात को मृत घोषित कर दिया। पीड़ित महिला के परिजनों का कहना था कि यदि समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो जाती तो नवजात की जान बच जाती।
जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं में लापरवाही का ये पहला मामला नहीं है, हाल ही में इससे पूर्व भी राज्य में एक ऐसी ही घटना घटित हो चुकी है, उत्तरकाशी के पुरोला में मोरी के आराकोट गांव की गर्भवती महिला मीनाक्षी प्रसव कराने अपने मायके पुरोला गांव आई थी। जहां सुबह-सुबह मीनाक्षी को प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों द्वारा किसी तरह उसे अस्पताल ले जाने का प्रबंध किया गया किन्तु सही समय पर उपचार न मिल पाने की वजह से महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया था।
उन्होंने कहा कि महिला के परिजनों ने एंबुलेंस को भी फोन किया था किन्तु एंबुलेंस के नहीं पहुंचने पर परिजन गर्भवती को लेकर पैदल ही अस्पताल के लिए निकल गए। गांव से अस्पताल दूर है। इससे पहले की महिला अस्पताल पहुंचती, उसने पुरोला बाजार के निकट अस्पताल के संपर्क मार्ग पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। मार्ग पर दर्द से कराहती महिला को आसपास की अन्य महिलाओं ने चारों तरफ से कपड़ों से ढककर प्रसव कराया।
उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए तत्काल उचित कदम उठाए जाएं और राज्य के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में उपचार के साधन जुटाए जाएं, जिससे उत्तराखंड की आम जनता को इलाज के लिए परेशान न होना पड़े।