उत्तराखंड के वनों में धधक रही आग पर जनसेवी भावना पांडे ने जताई चिंता, कही ये बात
देहरादून। उत्तराखंड में वनों के धधकने का सिलसिला जारी है। जंगलों में जगह-जगह आग लगने की वजह से जहां जीव-जंतुओं की जान संकट में आ गई है तो वहीं बेशकीमती वन संपदा भी जलकर स्वाहा हो रही है। इस गंभीर समस्या पर राज्य आंदोलनकारी एवं प्रसिद्ध जनसेवी भावना पांडे ने अपनी चिंता व्यक्त की है।
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जगह-जगह जंगलों में आग लगने का सिलसिला लगातार जारी है। कुछ दिनों पूर्व मई महीने में राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई वर्षा के कारण वनाग्नि की घटनाओं में कमी आई थी किन्तु जून की गर्मी शुरू होते ही इन में फिर से इज़ाफ़ा होने लगा है।
जनसेवी भावना पांडे ने गुरुवार को बागेश्वर जिले में लगी आग का जिक्र करते हुए कहा कि बागेश्वर में मनकोट के पास का जंगल वनाग्नि की चपेट में आ गया। आग फैलते हुए मोटर मार्ग तक पहुंच गई। सड़क तक आग पहुंचने के कारण वाहन चालकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं वन संपदा को भी भारी नुकसान हुआ।
उन्होंने कहा कि मई महीने में मौसम वन विभाग पर मेहरबान रहा लेकिन जून आते ही हालात बदल गए हैं। कुछ दिन मौसम सामान्य रहने के बाद वनों में आग लगने का सिलसिला फिर शुरू हो गया है। महीने के पहले दिन से ही वनाग्नि की घटनाएं होने लगी हैं। गुरुवार की शाम को मनकोट के समीप का जंगल जल उठा और आग बागेश्वर-कांडा मार्ग तक पहुंच गई। सड़क पर चलने वाले लोगों को भी आग की तपिश और धुएं ने खासा परेशान किया।
जनसेवी भावना पांडे ने अल्मोड़ा के चौखुटिया में मासी के जंगलों में लगी आग के बारे में बताते हुए कहा कि यहाँ जंगल में लगी आग महाविद्यालय परिसर तक पहुंच गई जिससे विद्यालय स्टाफ में अफरा-तफरी मच गई। बड़ी मुश्किल से इस आग पर काबू पाया गया। उन्होंने कहा कि गर्मी बढ़ने के साथ ही एक बार फिर जंगलों में आग लगना शुरू हो गया है। इसके लिए कुछ लोगों की लापरवाही भी जिम्मेदार है। लोगों में जागरूकता का अभाव है जिस वजह से कुछ लोग जंगलों में जलती तीली, सुलगी हुई बीड़ी या सिगरेट आदि फेंक देते हैं जिससे सूखे पत्तों में आग भड़क उठती है।
उन्होंने कहा कि कुछेक मामलों में कईं लोग अच्छी घास के लालच में जंगलों को जलाने का काम कर रहे हैं, जो सरासर गलत है एवं प्रकृति के साथ अन्याय है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार एवँ वन विभाग से अपील करते हुए कहा कि वनों में लग रही आग पर काबू पाने एवं ऐसी घटनाओं को रोकने के स्थाई समाधान खोजे जाएं साथ ही जंगलों के निकट बसे ग्रामीणों को भी वनाग्नि के प्रति जागरूक किया जाए।
उन्होंने कहा कि इन घटनाओं की वजह से वन विभाग के अधिकारियों एवँ कर्मचारियों की लापरवाही भी खुलकर सामने आई है। वन कर्मियों द्वारा सही तरह से जंगलों की मॉनिटरिंग एवं रखरखाव न होने, सूचना तंत्र का अभाव होने, आग लगने की सही समय पर जानकारी न होने एवं आग बुझाने के उपकरण उपलब्ध न होने जैसी कईं बातें उजागर हुई हैं, जो वन महकमें की पोल खोल रही हैं।