उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदा पर जनसेवी भावना पांडे ने व्यक्त किया दुःख, कही ये बात
देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने भारी बारिश और बादल फटने की वजह से उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदा पर दुःख व्यक्त किया है।
जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड में तड़के हुई बारिश ने राज्य के कई जिलों में भारी तबाही मचाई है। देहरादून के पास मालदेवता सरखेत, टिहरी और यमकेश्वर इलाके में बादल फटने से भयंकर आपदा आई है। उन्होंने कहा कि इस आपदा की वजह से भारी नुकसान होने की खबरें सामने आ रही हैं। वहीं कुछ लोगों के लापता होने व घायल होने की सूचना भी प्राप्त हो रही है।
उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने चिंता जताते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर बेहद संवेदनशील राज्य है। प्रत्येक वर्ष बरसात के दिनों में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कुदरत कहर बरपाती है और आपदाएं आती हैं। बावजूद इसके सरकार और प्रशासनिक तंत्र सबक नहीं लेता। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बरसात आने से पूर्व ही आपदा से निपटने के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किये जाते। आखिर क्यों सरकार बड़े हादसों का इंतज़ार करती है और घटनाओं के हो जाने के बाद लकीर पीटती है।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएं। साथ ही आपदा पीड़ितों के लिए भोजन एवं अन्य आवश्यक सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था भी की जाए। इसके अलावा आपदा में लापता हुए लोगों की खोजबीन को लेकर एनडीआरएफ और एसटीएफ के द्वारा लगातार अभियान चलाया जाए व प्रशासन के द्वारा पीड़ित लोगों को राहत मुहैया करवाई जाए।
जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने उत्तराखंड आने वाले सभी यात्रियों से अपील करते हुए कहा कि भारी बरसात को देखते हुए पहाड़ों की यात्रा फिलहाल स्थगित कर दें। अनावश्यक यात्रा न करें, नदी एवं बहाव क्षेत्र की ओर जाने से बचें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर हो रही भारी वर्षा के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में पहाड़ी मार्गों पर कईं जगह भूस्खलन भी हो रहा है, जिससे बड़े-बड़े बोल्डर पहाड़ों के गिरकर सड़क पर आ रहे हैं। ऐसे में पहाड़ों में फंसे यात्री आगे की यात्रा न करें एवं मौसम साफ होने व रास्ते खुलने तक सुरक्षित स्थानों पर ही ठहर जाएं।