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भवाली के टीबी अस्पताल की दुर्दशा पर जनसेवी भावना पांडे ने जताया दुःख, सरकार से की ये मांग

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर अफसोस जताते हुए अपना रोष प्रकट किया। मीडिया को दिये बयान में उन्होंने इसके लिये राज्य सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया।

पहाड़ की बेटी भावना पांडे ने पहाड़ वासियों की पीड़ा बयां करते हुए कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल, जिस वजह से पहाड़ के लोगों को बेहद तकलीफों का सामना करना पड़ता है। हर साल सैकड़ों लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं एवं कईं लोग तड़प-तड़पकर दम तोड़ देते हैं। इसके बावजूद भी सरकार अभी तक पहाड़ों के दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंचा पाई है और पहाड़ों में जहाँ स्वास्थ्य केंद्र हैं भी तो उनकी हालत बहुत दयनीय है।

जर्जर हालत में पहुंच चुका भवाली का टीबी सैनिटोरियम

उन्होंने नैनीताल जिले में स्थित भवाली के मशहूर टीबी अस्पताल का उदाहरण देते हुए कहा कि भावली में स्थित टीबी केंद्र आज उपेक्षा की मार झेल रहा है। जबकि एक समय में इस अस्पताल में दूर-दूर से लोग इलाज करवाने आते थे। यही नहीं यहाँ के वातावरण से प्रभावित होकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी स्वर्गीय कमला नेहरू भी यहाँ अपनी बीमारी का उपचार करवाने आईं थीं। उन्होंने इस अस्पताल की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा कि स्वर्गीय इंदिरा गाँधी जब देश की प्रधानमंत्री थीं तब ये अस्पताल 378 बैड का हुआ करता था।

अपनी दुर्दशा बयां करते हुए भावली टीबी सैनिटोरियम अस्पताल के भीतर लगे बैड

जनसेवी भावना पांडे ने इस टीबी केंद्र के इतिहास का वर्णन करते हुए कहा कि भवाली सेनिटोरियम कभी एशिया की पहचान हुआ करता था। देवदार के वृक्षों से घिरे इस क्षेत्र की आबोहवा आमजन ही नहीं बल्कि क्षय रोगियों के लिए भी वरदान थी। अंग्रेजों ने ही इस जगह की अहमियत समझी और यहाँ क्षय रोग अस्पताल यानी भवाली सेनिटोरियम का निर्माण करवाया था।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि देश-विदेश के मरीज़ों का यहाँ बेहतरीन ढ़ंग से उपचार किया जाता था किंतु इस अस्पताल में आज सुविधाओं का अभाव है, जबकि स्वास्थ्य विभाग का कोई अधिकारी यहाँ झाँकना भी पसंद नहीं करता। आलम ये है कि अस्पताल की छतों और दीवारों से मिट्टी झड़ रही है। जर्जर हाल में पहुंच चुके इस अस्पताल में सिटी स्कैन और एमआरआई जैसी मशीनों की सुविधाएं होना स्वप्न सरीखा ही हैं। यदि चिकित्सकों की ही बात की जाए तो पूरे हॉस्पिटल में मात्र तीन फार्मासिस्ट एवँ आठ डॉक्टर ही हैं।

अपनी बदहाली पर आंसू बहाता प्रतीत होता भवाली का टीबी सैनिटोरियम अस्पताल

जेसीपी मुखिया भावना पांडे ने कहा कि जर्जर हालत में पहुंच चुके इस अस्पताल की दशा सुधरना और सरकार द्वारा इसकी सुध ली जाना फ़िलहाल दूर की कौड़ी ही नज़र आ रहा है। उन्होंने सरकार से माँग करते हुए कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री एवँ स्वास्थ्य मंत्री इसे संज्ञान में लें और संभव हो तो एकबार इस हॉस्पिटल का मुआयना जरूर करें। साथ ही तत्काल इस अस्पताल के जीणोद्धार एवँ रख-रखाव के इंतज़ाम किये जायें व सभी जरूरी सुविधाएं यहाँ उपलब्ध करवाई जाएं। जिससे पहाड़ वासियों समेत यहाँ आने वाले मरीजों को राहत मिल सके।

जेसीपी मुखिया भावना पांडे ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि यदि राज्य सरकार इस अस्पताल की ओर समय रहते ध्यान नहीं देगी तो वे स्वयं बाहर से निवेशकों को लाकर इस हॉस्पिटल की सूरत बदलने के प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि समाजसेवा के लिए ही उन्होंने जनता कैबिनेट पार्टी का गठन किया है, जिससे उत्तराखंड की जनता की आवाज़ बनकर वे उनके हक़ के लिए लड़ पाएं एवँ पहाड़ वासियों को सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया करवा सकें।

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