Breaking NewsUttarakhand

चारधाम यात्रा के दौरान खच्चरों की मौत पर जनसेवी भावना पांडे ने जताया अफ़सोस, कही ये बात

देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध समाजसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ मार्ग में खच्चरों की मौत पर अफ़सोस जताते हुए दुःख ज़ाहिर किया है। उन्होंने यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों पर अत्याचार न करने की अपील भी की।

जनसेवी भावना पांडे ने मीडिया में चल रही खबरों एवं अखबारों में प्रकाशित समाचारों का ज़िक्र करते हुए कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में खच्चरों के मारे जाने की खबरें सामने आ रही हैं। खबरों की मानें तो खच्‍चर के बीमार होने के बावजूद उस पर यात्री को ढुलावाया जा रहा था। जबकि दूसरे खच्चर पर क्षमता से अधिक भार ले जाया जा रहा था, जिस वजह से दोनों बेजुबानों ने तड़पकर दम तोड़ दिया।

उन्होंने कहा कि केदारनाथ यात्रा में संचालित घोड़े-खच्चरों की मृत्यु होने पर उन्हें सही ढंग से न दफनाने के मामले भी प्रकाश में आ रहे हैं। उन्होंने ऐसी घटनाओं पर अपनी पीड़ा और रोष प्रकट करते हुए कहा कि कोई मनुष्य जानवरों के प्रति इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वहीं क्षेत्र में गंभीर बीमारियों के फ़ैलने का अंदेशा ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि मृत पशु को उचित तरीके से दफनाने में अनावश्यक विलंब से क्षेत्र में बीमारी फैलने का भी भय है।

राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच चलने वाले घोड़े और खच्चरों की अचानक हो रही मौत पर सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने ने चारधाम मार्ग पर हताहत हो रहे घोड़े और खच्चरों के मामले में अब सरकार से जवाब मांगते हुए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के सामने आने के साथ ही सरकार की लापरवाही भी उजागर हुई है।

चारधाम यात्रा मार्ग पर समान ढोते खच्चर

उन्होंने उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब से चारधाम यात्रा शुरू हुई है यात्रा मार्गों पर भारी संख्या में घोड़े और खच्चर सेवाएं दे रहे हैं। यात्रा रुट पर सफर के दौरान इन जानवरों का जमकर शोषण किया जा रहा है। ऐसे में अब पशु प्रेमियों व जनसेवियों को आवाज उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि गौरीकुंड से केदारनाथ का रास्ता 15 से 19 किलोमीटर का है जिसमें ढाई हजार का किराया यात्रियों से वसूला जाता है।

घोड़े-खच्चरों पर सवारी करते हुए चारधाम यात्री

रुद्रप्रयाग के विभागीय अधिकारी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 8500 खच्चर घोड़े इस वक्त यात्रा मार्ग पर यात्रियों के लिए सेवाएं दे रहे हैं। जबकि सरकारी आंकड़े में केवल 2300 घोड़े खच्चर ही पंजीकृत किए गए हैं। हैरानी की बात है कि विभाग ने केवल 6 घोड़े मरने की बात कही हैं किन्तु सँख्या इससे कहीं ज़्यादा है।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि सरकार ने घोड़े और खच्चरों के मरने की वजह बीमारी, पैरों का कमजोर होना, घुटने का चोटिल होना और ज्यादा उम्र के घोड़े खच्चर होना बताया गया है। ऐसे में अब जिम्मेदार विभाग को जवाब देना चाहिए कि यात्रा से पहले पूरी तरह से इन पशुओं का परीक्षण क्यों नहीं किया गया ? उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि पशुओं के हरे चारे का प्रबंधन सरकार ने क्यों नहीं किया ? इनकी टाइम लिमिट सेट होनी चाहिए थी, हर 4 किलोमीटर के बाद गर्म पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए था। हर घोड़े के गले में एक आईडी कार्ड भी होना चाहिए था, जिससे यात्री की लोकेशन को ट्रेस किया जा सके।

चारधाम यात्रा के दौरान मार्ग पर घोड़े- खच्चरों पर यात्री एवँ श्रद्धालुओं की भीड़

उन्होंने कहा कि ऐसे कईं सवाल हैं जो यात्रा मार्ग में यात्रियों की सुरक्षा के प्रति और पशुओं के प्रति सरकार और संबंधित विभाग की लापरवाही को बयां कर रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि समय रहते सभी व्यवस्थाओं दुरुस्त कर बेजुबानों की भी सुध ली जाए। जिससे चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं और मासूम पशुओं को राहत मिल सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button